Texttitel (Kurzbezeichnung) | Christine Ebner: 'Engelthaler Schwesternbuch' ('Von der genaden uberlast') (N2) |
Textkürzel in ReM (und in der Mittelhochdeutschen Grammatik) | GnaÜ |
Textkürzel im Mittelhochdeutschen Wörterbuch | EbnerChrist |
Textsorte, spezifisch | Religion |
Textsorte | Schwesternbuch |
Textart (P = Prosatext, U = Urkunde, V = Verstext) | P |
Primäre Referenz (Edition, Handschrift) | Handschrift |
Sekundäre Referenz (Edition, Handschrift) | Edition |
Aufbewahrungsort | Nürnberg, Germanisches Nationalmuseum |
Signatur | Hs. 1338 |
Link zum Handschriftencensus | http://www.handschriftencensus.de/2046 |
Überlieferungstyp (Handschrift, Rolle, Inschrift) | Handschrift |
Blattangabe | 66 Blätter |
Ausschnitt | "S. 1,1-38,2; 74,5-112" |
Sprachstufe (in ReM steht “mhd”) | mhd |
sprachlicher Großraum, weit (oberdeutsch, mitteldeutsch, niederdeutsch) | oberdeutsch |
sprachlicher Großraum, enger (z.B. ostoberdeutsch, westmitteldeutsch) | nordoberdeutsch |
Sprachlandschaft/Dialekt (z.B. nordbairisch, schwäbisch, hessisch) | ostfränkisch, nordbairisch |
Lokalisierung/Schreibort | Kloster Engelthal? |
Zeit (Jahrhundert(hälfte)) (z.B. 12,2 = 12. Jh., 2. Hälfte) | 14,1-14,2 |
Bemerkungen zum Überlieferungsträger | - |
Zeit (genauere Datierung) | 1340-vor 1346 |
Lokalisierung (Entstehungsort) des Textes | Kloster Engelthal |
Autor des Textes | Christine Ebner |
Sprache des Autors | ostfränkisch |
Übersetzungsvorlage | - |
Edition (Standardedition, auf die sich ggf. die primäre oder sekundäre Referenz bezieht) | Karl Schröder (Hg.), Der Nonne von Engelthal, Büchlein von der genaden uberlast (Bibliothek des Litterarischen Vereins in Stuttgart 108), Tübingen 1871. |
Korpuszugehörigkeit (ReM I, ReM II, MiGraKo) | MiGraKo |
Bemerkungen zur Texterfassung/Transkription | - |
Bemerkungen zur Annotation | - |
Digitalisierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | (Bochum) |
Kollationierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | (Bochum) |
Präeditiert durch: Name(n) (Arbeitsstelle) | Bernd Krause (Bonn) |
Annotierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | Wiebke Wolf (Bonn) |
Abschlusskorrektur durch: Name(n) (Arbeitsstelle) | Martin Fuß, Elke Weber (Bonn) |
Zeile | Transkription (Unicode) | Transliteration |
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mugen vnder menſchelichen ſínne niht begreiffen. wollen wir an werren ſei̇n. Nu wolt ich gern ſchreiben etſwaz uon der genaden uberlaſt . So han ich laider cleínen ſin. vnd kan dar zv der ſchrift niht. wanne daz ich zv diſē díngen mit der gehorſam betwungē bin. IN der zeit da der kuníg uon vngerne ſei̇n heiligeu tohter Elízabethen gemehelet dem Lantgrauen Ludowig uō heſſen da ſant er ſie mi̇t grozzē eren híntz Nurnberch da deu brautlauft ſolde ſeín Da gab er ir eín Rotterín auf dē wek die hiez Alheit ob daz kint wur=de waínen daz ſie ez danne ſtillet mít dem ſaitenſpil Diſew fraw ſprach ſie wer ſiben iar alt. Da die brautlauft uergínk. vn̄ daz heilig kínt von dannē wart gefuret da wolt ím die Rotterín niht mer nach uolgen. wanne ſie wolt fuͤrbaz allez ir leben dem mínnēclichē got ergeben. vnd wart eín grozze rewerin vnd dar zv gotes mínnerin. vnd ſaz ze Nurnberch in eínē haus. vnd warde reht als ein Lucern. wanne ſie waz uor weit erkant. uon irm ſundigē ampt Ez waz eín cleínew ſamenūge uon Begi̇n i̇nder ſtat. da ward man predigen wie grozzen lon vnſer herre. wolt geben vmb die rei̇ni̇cheit vnd vmb willigew gehorſam da gíngē ſie zu diſer frawen alheiden der uorgenantē Rotterin. vnd baten ſie mit grözzer begirde daz ſie ſich an neme vn̄ wurde ir maiſtri̇n dar vmb daz inder himliſche lon wurd. ſeit ſie niht heten dez guts daz ſie ein Cloſter geſtiftē mohtē diſer heiligen gebet wurden ſie ſchïr uon ir gewert. vnd gíngen ín ir hus vnd legt ieclichew beſunder allez daz ſie heten uor. fur ir füzze Der anuank irs lebens waz alſo. ir maiſterin pflag ir als wol vnd als getrewelich ſam ſie alle ire kint werē vnd wert in keinerley dink da vō ir hertz gegen got brínnend wart ez waz ir leben ſo heilik. vnd ir wandel ſo andehtig. vnd ire wort als ſüzze vnd als warhaftig vnd allez ir tun als uolkumen alle die. die ir leben ſahen die wurden da uon gebezzert. da uon ward ir leumunt gebreitet in dem lande vn̄ auch in andern landen. da uon gingen die hˢren in dem lande zv in vnd namen den ſegen uon ín. vnd auch die bilgerín ſo ſie uˢre wolten wallen. vnd die frumē frawen die gingen auch zu in daz ſie ſie lerten beíhten vnd wie ſie got minnen ſolten. ſie waren vnder der gebiet dez pfarrers uon ſand Laurencen vnd waren ím gehorſam als irm rehten pfarrer. ſie erwelten ei̇n ſuppriolín mít bri̇nnendem hertzen die waz bruder otten von ſwabach bas. vnd leuhtet reht als eín lucern ob ín allen vnd waz vmb dreizzíg iar vnd keinev mer ſie laſen ir zeit als ſie konden vnd mohten ze Conplet ſo gíngen ſie zv ir meiſterín vnd fragten ſie wie ſie den anderen tag uertreiben ſolten daz taten ſie danne willecleich. als ſie ze tiſche ſazzen ſo ſaz die meiſterin ze oberſt. als ſie denne eín weníg gaz. ſo las ſie ín teutſche ze tiſch. ſo waz ſelten daz mal ezz wurde ie ir etlichew ſinnēlos. vnd lagē als die toten. wanne ſie warē werlich ín got töt diſew genad heten ſie ze wˢk vnd an irm gebet vnd ſwa ſie daz go=tes wort ſuzzelich hörten. an einew die wart níht entzukt. da die leute ír heiligez leben uernamen da gaben ſie i̇n an bet allez dez ſie bedorften an allen ſachen. ſunderlích die kungín vō behei̇m fraw kungunt die tet ín groz gut vnd ſant in ſumliche cleinot die wir noch haben Sie enpfingen ei̇nē bruder. der hiez bruder herman der dient ir ietlicher ſam er ir gedingter kneht wer. vnd ſwa man der heiligen ſamenūg iht geben wolt in fremden landen daz holt er in auf ſinen füzen da ſie nuͤ etlichev iar ze nurnberch. waren geſezzen der zal waiz ich niht índen ſelben zeiten da uerhengt got daz der Babſt keiſer Friderïch ín den ban tet. Da ſprach ſie zv irre ſamenūg. wir mugen niht lenger hinne geſein. ich wil uaren híntz dem hˢren von kunigſtain daz er vns die weil beherberge vnd leſt die weil die funfzehen pſalm die ſich alſo an heben. Deus. biz ich hˢ wider küme Der bet wart ſie ſchier gewert uon dem hˢren vnd lech ín eínē mairhof. daz ſie ſich dar auf enthiltē da uerſucht ſie got. als man daz golt ín dem feur tut. vnd muſten groz arbeit haben. vnd muſten ſelber ir korn ſneiden vnd waſchen vnd bachen vn̄ alle di̇nſtliche werk tun. daz taten ſie mít grozzer andaht vnd waren ſin gedultig. ſie bauten eín Capellen in ſand Laurencen ere da ſie da gewont hetē in daz virde iar Da kam die gröz vínſtˢ Sich eruíel ei̇n ki̇nt daz waz dez uon kunígſtei̇n enícleín daz hiez vlreich bei irm hof. Daz kint trugen ſie hín ein vnd beſazzen ez biz ez geſtarp. da geſcha ím grözz lait an. wanne er het niht erben danne eín tohter. nach den ſelben oſten ſprach er zv irre maiſtˢin kum hintz Sweínach hab du da deín wonung Da wil ich dir geben eín Capeln vnd wiſmat vnd holtz daz ir euch ſeín wol beget. daz opfert in mi̇t auf gerektē henden dem heiligen geiſt vnd vnſer liebē frawē maria. ín den ſelben zeiten da komen ſiben ebt her uon grawem orden vnd baten diſe heiligē ſamenūg mite grozzer flehe daz ſie ſich ergeben in irn orden ſo wolten ſie in grozze güt tun. da ſprach der ſtifter alſo. er wolt in ſin níht geſtaten. er wolt daz ſie gingen in fra=welichem gewande Ez ſaz eín reicher pfaff ze Vilſeck dˢ híez Vlſchalk der waz maníg iar eín grozer offener ſunder geweſt. vnd da er ir heiligez leben uernam da bat er ſie daz ſie ín enpfíngen er wolt ir Caplā ſeín. vnd wolt ín mít allen trewē uor ſein Der wart eín ſo heiliger man daz man lieder uon im ſang. vnd vnſer hˢre tet grozze wunder mít ím vnde ſunderlich an ſi̇nem töde da waz er virtzig tag an ezzen vnd an trínkē Der ſelb bawet in ir kirchen als ſie noch da ſtet denne daz ſie niht ge=welbet waz. vnd macht zwen elter dar ein. ei̇nē in vnſer frawen ere vnd ſand Johans baptiſtē ere als er noch da ſtet. wanne ez waz uor eínē peurlín getraumet ez ſtünde eín pachouen an der ſelben ſtat. da ſtūd ei̇n herrre uor der het eínen kotzē an vnd ſpeiſt allez lant da uon Da macht er ſand johans ewangeliſtē auch ei̇nē alter Wie der dritte alter her iſt kumē daz wil ich euch auch kunt tün Ez ſaz eín edel man ze Schonberg auf der burge der ward als ſiech daz ím ni̇emant daz leben gehiez. an ei̇nˢ naht da erſchei̇n ím vnſer hˢre ín eínē ſo grozen lieht Daz waz clarer danne die ſunne. Da eílt ſín efraw uber ín vnd wönt daz die burg ei̇n feur wer Da ſie da uber ín köm da hort ſie da ſei̇n antwort wol. die er vnſerm hˢrē tet. aber vnſers hˢren rede hort ſie niht daz er allez ſprach hˢre ich wil ez gar gern tun da er da wider zv im ſelbˢ kom da fragt in ſin wirtin mít wem er gered het Da ſprach er vnſer hˢre iſt ſelber zv mi̇r komē vnd hat mich gebeten daz ich ſíner dirne katheri̇n eínē alter mach ze engeltal vnd ín wi=dem mi̇t dem holtz ze eſpech vnd mít dem hof ze Teufenbach. vnd hab dir dez ei̇n vrkund daz ich dir dínē geſunt wil wider geben vnd daz du ietzund zv diſē mal niht ſtirbeſt da ſprach er zu ſiner frawē liebe fraw ſend mir bei tag vnd naht nach dem predigˢ nach bruder cūrat uon Eyſtet der ietzund iſt ir maiſter dem wil ich ietzund diſe dínk kūt tun daz geſchach alſo daz er zv ím kom da ſagt er i̇m diſe rede die vnſer hˢre mit ím gered het vnd ſprach hˢre mir iſt mín hertz als uol genadē gegen in ich han niht erben ich wil ín allez daz geben daz ich han Da ſprach der prediger nai̇n herre dez ſult ir niht tun ir habt arme freunde den iſt auch nöt dirre edel man wolt ez niht uˢſweigen vnd kunt ez uber al ím lande vnde kom eín grozze meníg zv der alter weihe Der edel man der hiez braun von himeldorff. vnd die koler ſint ſein nachkumē Der ſtifter uom ku=nigſtei̇n der hiez auz rͦufen vnd auz ſchreien daz daz cloſter haizzen ſolt engeltal vnd niht nach dem dorf ſweinah In den ſelben ziten do waz ein dinſtmā der waz ei̇n teutſcher hˢre vnd hiez hˢ Conrad von Lauffenholtz vnd waz ze preuzzē marſchalk vnd waz ei̇n weiſer man vnd hoch geert in deutſchem orden Da er uˢnam diſes Cloſters heilikeit vnd ſinē grozen leumūt do warde er ſo ſere entzunt an ſínē hertzen von gotlichˢ minne daz er ſprach zv ſeiner meiſterſchaft mir iſt kunt getā mei̇n freunt vom kungſtein der hab eín cloſter geſtift da ſein ſo heilig leut innē vnd ſunderlich han ich eī mumē dar ínnē da tut got ſo grozze wunder mit nv iſt min hertze tag vnd naht ín ſo grozze begirde kumē daz ich willē han ich wolle meín ere auf geben. vnd wolle zv. diſer ſamenūg komē daz ich tag vnd naht mug geleben ín ínnercheit dez mag ich bei euch niht getun da ward er grozze bet an gelegt vnd alle die dínk taten ſie gegen im do mit ſie in behabt mohten haben daz half niht an i̇n vnd er kom zv der heiligen ſamenūg do enpfingen ín die prediger mit ſoge=tanē eren vnd der Couent daz ſie ſprach=en ez het ſie dez palmtags ermant der eren der man vnſerm hˢren het getan vnd heten ſogtan freude. daz ein ſo ah=per man zv ir geſelleſchaft waz komē vnd wolten ín hintz dem hohen capitel haben gefurt do wolt er ſin niht tün. Dirre ſelig man uon Lauffenholtz nā ſich eín ſo heiligez leben an ſi̇n geberde waren ſo geiſtliche vnd allez ſein wan=del daz waz ſo uolkumē vnd redet ſo ſuzlich uon got daz die hohen gelertē prediger ir wunder dar ab namē daz ein vngelertˢ man ſo tief uon got kōde gereden. ſwa er zu den Lanſhˢren. rait oder in die ſtete ſo namē die leut ſo grazze bezzerūg uon im daz ſie dē Cloſter vil deſter gunſtiger waren er nam ſich ein ſo hˢtez leben an vn̄ dinte got mit grozzē ernſt daz er ward ein lieht inder leut hˢtzē vnſer hˢre tet grozze dink mit im der ich laider niht enwaiz wan̄ ez geſchach uor minē zeiten Einez tagez wolt er hītz der meſſe gen vnd get fur daz prewhaus da ſtund ein bruder der hiez heinrich der prew. do man die vaz pichte da ſprach er vil lieber ſchaffer da wer ich auch gern hintz der meſſe ſo müz ich hie bei der arbeit ſein. da ſah der ſchaffer daz den prewen ein gotliche lieht vmb gab daz waz ſchoner denn díe ſunne do ſtunde er in grozzē genaden innē da uerſan ſich der lauffēholtzer wol daz ez waz uon der gehorſā da het er dar vmb ein leiden daz mā die frawen nunnē hiez Da ſprach ein gotliche ſtimme zv im biz niht betrubet nunnen daz ſint ſunnē allez daz im got ze gut tet daz ſagt er ſiner mumē alheiden uon Trochawe da in der tot nv waz an kumē da ſāt er aber nach ir vnd tet ir daz kunt da ging ſie in die kuchen vnd ſprach daz man im ei̇n flaiſch geb. im wer we hintz einer laiſweſter die ſin pflegerin waz da tet ſie vil grimelich vnd ſprach waz iſt im geſchehen nv hat er in vil iaren nie keynes flaiſchez enbizzē vnd tet daz mit grozzē geſchrai vnd mit hertikeít Da ſprach vnſer hˢre zv ſinere Mumē. ich wil mich grozlich rechen an dem mēſchen daz ſie dem heiligē menſſchen alſo getan hat Da ſprach ſie naín liebˢ hˢre ſlahe ſie niht. Er ſprach naín ich lazze meiner gerehtikeit niht ab. da bat ſie in mít aller flehe lieber herre tu ſin niht bei minē lebendigen leibe da geſchach alſo da man ir tauelt ze ei̇nē mitē tag da waz diſe laiſweſtˢ ín dez in dem ſteinein refenter. Da ſah ſie daz der refenter voller teufel waz den wart gewalt geben ubˢ ſie dar vmb daz ſie dem guten mēſchen als vnbarmhertziclich getan het. wan̄ ſie het ez oft uor kunt getan daz die rach gotes auf ſie ſolt geuallē da gewan ſie ein anuehtung ſie wolt ſich ſelber toten vnd wart dar zu totlichen ſiech vnd lebt in diſer keſtigung biz an irn tot. Dirre gut bruder ſtarp mi̇t einē heiligē ende do uerhal mā ſin grebnuſſe von dem grozzen lewmunde den er het Wir heten einen gütē bruder der hiz bruder conrad der weinman der ging zv einē mal auz nach tiſch auf daz uelt von wart von got redende vnd kom als gar von im ſelber daz er beſtund biz auden andern tag in dem ſelben iubel IN den ziten da ſie daz geſank heten gelernt da bat der ſtifter der frawē maiſtˢin daz ſie irre frawē hintz Reichnek breht daz ſie im meſſe ſungē in einer Capeln an dem pfingſtag daz geſchach da ſank der ſtifter die meſſe alle mit den frawē vnd het buſtaben níe gelernt da ward er ſo gar uon entzūdet da daz wunder an ím geſchah daz er ſprach ach vl=reich vnd ſolt ich lang leben ich wolt wunder mi̇t dir hiligē ſamenūg tün IN dem erſten aduent da ſie nach dē orden ſungen vnd ir erſte ſancmeiſtˢin die hiez hailrat die waz vnmēſchlich ſchon vnd ſank auzzer mazzē wol vnd lernt dar zv gar wol vnd het vn=ſern hˢren gar liep daz ertzaigt ſie an allen iren wˢken vnd leben wol da ſie nu komē zv dem virden ſuntag ím aduent da ſie ſungen die metin da ſie nv komē hintz dem funftē Reſpōs virgo (Israel). vnd der vers Incaritate p(er)petua daz ſank ſie teutſch vn̄ ſank ſo vnmenſchlichen wol daz man brufet ſie ſunge mít engeliſcher ſtimme der vers teut ſich alſo Ich han dich gemint in der ewigen minne da uon han ich dich zu mir gezogē mit minˢ barmhertzikeit den vers hat unsˢ herre geſprochen durch dez weiſſagē munt zv menſchlichem geſleht diſer heilig Couent wart uon grozer andaht ſinnelos vnd vilen nid.r als die toten vnd lagen alſo biz ſie alle wider zv ín ſelber komen do ſungenſie ir metin mit grozer andaht auz IN den ſelben zeiten do fugt ez ſich alſo daz di prediger uon Regenſpurch in diſe gegend wurden wandeln da gehizen ſi in ſie wolten in irer gehorſam ſein Da gab ir meiſterin ir ambit auf vnd welten ein priolin mit prinnendem hertzen nach der prediger rat die hiez ſweſter dimut uon gailenhuſen die ſtund auf ir fuzze vnd ginge mit einer ſweſter vnd mit einm leienbruder hint z Rom Da waz ein brediger auf dez pabstes hof und da er irn ernſt und ir heilikeit uernam da braht er mit dem pabſt all ir begirde zv vnd mer dann ſie ſelber dar zu konde und beſtetigt ir der pabeſt ir priuilegia vnd ir brif diſev heilige ſaminūge lebtē als herticlich daz ſie namē mit dorn vnd beſen ſtarke diſciplin die meiſter ditz ordens die mít in capitel ſazzen die ſprachē wir ſolten dez ertrichs von hinnen furen hintz andern cloſtern uō der grozzen heilikeit die wir hie fundē haben Die erſte meiſterin die da hiez alheit Rotterin die verjach ir Coueut zu grazzen genaden die ir unſer hˢre getan het da wer sie entzukt worden hin zu dem iordain vnd het alle die dink geſehen die zv vnſers hˢren tauf wen geſchehen Einev hiez ſweſter leugart vom perg die waz gar ein hailiger menſch vnd las mit grozzer andaht zeit uon der heiligen driualtikeit all tag vnd da nv dev am tod lak mit grozzer andaht da ſprach ſie einez tages lieben ſweſter ich tun euch kūt mir iſt erſchinē die heilige. dri=ualticheít in drier ſchonē herrē per=ſon vnd ſínt ſo glich an einander geweſt vnd het man ir ei̇nē verlorn man moht niht gebruft habē welher er geweſt wer aber ich bekant ſie wol vnd zaiget mi̇t dem vinger wa ir ieclicher geſtandē wˢ vnd gaben mir ſuzzē troſt. Da uˢſchid ſie in den genaden alſo Eíne híez ſweſter alheit von Röt die waz ein witib vnd braht ein tohterlin mít ir ín daz Cloſter daz hiz Irmelín. mi̇t dem kinde hub vnſer hˢre an mit der vart vnd beging die gro=ſten wunder mít ím ei̇nez tagez da ſaz ez mit andern kinden ob dem tiſch an eínē vaſtag da ez vmb zwelf iar waz da waz der kinde maiſtˢín von in gangen. da wurden die andˢn kint reden da viel ez níder vnd wart onmehtig da ez doch wider zv im ſelbˢ kom da fragtē ſíe ez waz ím geworrē wer da ſprach ez awe kint da ſolt ir ſweigē ob dem tiſch. ich han geſehen einē als greulichen teufel der hat alle ewˢe wort an geſchriben vnd da uon bín ich omehtig worden vnd wenne ez an ſinē bette waz. ſo waz ez ſo inhitzig ſam eín mēſch daz ſich niht uˢweiz vnd wē etſwer mít im redet vnd ez von dem bett hiez gen. ſo ſprach ez awe kint waz ir mich grozzer gnaden irret ez waz ein ſpiegel in allem ſinē leben vnd nam ſich gar ein hertez leben an da deu zeit nv kom daz der biſchof kom vnd kronē wolt als gewonheit da waz. da gab man im vnſers hˢren licham dez ſelben tags da ez uber den tiſch kom da ging vnſer hˢre ín dē refenter mít ſinen engeln vnd ſtund fur ez vnd red gar minneclich mi̇t ím daz ſich alle die dar ab wundertē die en gegen uber tiſch waren. die ſín wider antwort hortē vnſers herren rede horten ſie niht. ſwenn ez bei den leuten waz vnd gar frolich waz ſo warf ez die augen auf ín himel vnd wart rot vnd ſprach awe wen̄ kumet die zit daz wir hintz dem ewigen leben vnd freuden kumē vnd wart danne traurig vnd lacht dann nimm daz traib ez gar emziclich alſo wart ez gefrogt von den ſweſtern waz ez do mit maint Da ſprach ez wenne ich bi den leuten bin vnd frolichen bín ſo gedenk ich an die vnzellichen freude dez hímels dev vns kunftig iſt. ſo mag ich mich denne niht enthalten als ir wol ſeht an mir. ez pluet als ein himelroͤs mit allen tugendē vnd brā als eín vackel in der minne gotes ſein leumunt waz groz uor got vnd uor den leuten da diſe ſelig ſweſter kom an ir ende. da ſaz der heilig mā der vlſchalk da er ſin gebete ſprach daz daz ſiechaus voller wei̇zzē taubē ſaz da het er eín groz wunder. wan̄ die tauben alle kumen wˢn in dez da tauelt man ir da uerſan er ſich wol daz ez uon irm heiligē lebē waz vnde ſtund uber ſie biz daz ſie uerſchiet Sie het eín ſweſter die hiez kun=gund die het gar eín hertez lebē an ir vnd da ſie nv lam wart an irn liden. ſo muſt ie etwer uber ſie ſten der ir diſciplin geb da ſie aber geſūt waz vnd ſupriolín waz da mínt ſie dï gerehtikeit als ſere daz ſie niht erleidē moht. waz wider got was vnd wider den orden da lait ſie gar vil von hertē worten vnd ſwˢen wortē. als dan̄ ir freunde ſprachen ſie ſolt etwaz lazzē gen ſo lacht ſie gar mīneclich vn̄ ſpᵃch mi̇r iſt reht ſam eín maur uor mínē hertzen ſei vnd tet man ez eínē anderen menſchen ez tet mi̇r wirſer den̄ ez mi̇r an mir ſelber tet. da ſie nv vor irm tode an einē ſundern gemache waz uon irer krancheit wegē da brah=te man ir eínez tagez geſultzt viſch vom Couent da ſie gaz da het ſi ir gern mer gezzen do komē ir von der genade gotes die aller ſchonſtē viſch ín ir ſchuzzeln daz ſie irn gelangē wol buzt dez danket ſie got vnd azze die viſch mi̇t freuden da die zit kom daz got ir arbeit eín ende wolt geben. Da ſprach ſie. we wie we mi̇r iſt Da antwort ir eín laute gotliche ſtímme we iſt ei̇n gut wort. we iſt eín ſuzez wort. we iſt eín genadenrichez wort da waz ir vil we vnd mant vndern hˢren da der prieſter nv kom vnd wolt ir vndˢn hˢren gebē da waz der Couēt do gegenwˢtig da ſprach ſie mi̇t lau=ter ſtímme vnd mit frolichen antlutz herre er iſt ſelber hie geweſen vnd hat mi̇r ſín mīneclichez antlutze gezaigt vnd hat mi̇r grözze freude gebē vnd groͤzzē troͦſt getan doch wil ich ſi=nen heiligen lichnam gern nemē dar nach verſchied ſie mi̇t eínē heiligē end Diſe zwü ſweſter heten eín heilige muter aín auzzer mazzē heiligē lebens vnd behielt den orden als ſtrēclichen als eín mēſch tün ſolt ſie ging emziclich hintz chör vnd ſwaig alle weg wan̄ von tiſch hintz conplet vnd nam alle tag eín diſciplín vnd waz drízzig iar on flaiſch da die zit kom daz ſie vnſer hˢre von hínne wolt nemē da tet er ir iren rat kunt daz hielt er etlich wochen auf da wart ſie ſo ſere nach dē himelrich belangē . daz ſie ſprach wie lanch ſin ſchír iſt Da die zit do kom vnd ir criſtenliche reht geſchah da ſaz ſie in ir pet vnd gi̇ng ir ſel auz nach irm tod do kam ſie her wider vn̄ ſprach ſie wer drizzig tag uon got geweſē dar vmb daz ich uertrug daz man mich frawe hiez. vnd daz ich betrubt wart wanne meín freunt vnder ſich grifē daz ez meín wille waz wen̄ man mich eret. ich wer anders an vnderlaz gē hímel geuarn. da man ir grap auf gru=be vnd da man eínen andern totē wolt zv ir legen da vant man eínē brunnē von ole daz ſahen alle die wol die da gíngen uber daz grap. Eínew kom her zv vns die hiezze Reichilt von Gemmerſhaim mit irm elichen wirt der wart eín conuers da wart ſie gar ein heiliger menſch die het die gewonheit daz ſie alle naht ir Confiteor ſprach vnd uor irm tode do ſprachs ſiez uor ei̇nē alter. da ſprach ir vnſer hˢre ſelb ſelbˢ. miſereatur. Da ſie ſchïr ſterben wolt da ſach eín ande=rew ſweſter daz der himel offen ſtunt ob dem ſiechaus vnd daz ſich drew liht her ab liezzen da ſie da lak Ez waz ein ſweſter hiez alheit von Trochaw die het von irn kíntlichē tagen eínē wiſſagenden geiſt gehabt die weil ez halt in der werlt waz da ſprach ez hintz der mutˢ ez iſt kunf=tig noch daz mei̇n vater vnd mín ſchō=ſtew ſweſtˢ der ſiechen leut ſullē wˢdē da ſprach ez einez tages ez ſitzt min vater ze Regenſpurch vnd hat allez daz vˢſpilt daz er het. vnd hat vˢbotē daz man dirz iht ſag. der ding ſagt ez vil da kom ez in eínē leumūt vō daz die leut ſprachen ez wer ei̇n weiſſag da ez do in vnder cloſtˢ kom da wart ez eínez nahtes entzukt vnd kom an die ſtat da die vngetauftē kindelin hín komē da fluhen ſie die kíndelín vnd taten ir ſmehelichē da ſprach ſie war vmb fliht ir mich da antwor=ten ſie ir daz tun wir dar vmb daz wir ſi̇n her komē von der erb ſunde vnd geſehen gotes augē nímˢ mere du bezzerſt ez aber wol wir tun dir kunt daz du niht reht getauft biſt da nach etlichē tagen da lag ſie uor vnſerm alter in dem chor nach der meti̇n vnd ward aber entzugt vnd kom für vnſers hˢren geriht. in aller der guten weis als daz ewangeli ſagt daz die guten engel zu der rehten ſeitē auz laſen vnd die boſen zu der linkē ſeiten da lief ſie ſelbˢ zu den er weltē da ſprach vnſer hˢre zv den engeln rüfet alheiden ſie ſol niht zv mi̇nˢ rehten hant ſten ſie ſei niht reht getavfet do ſprach ſie zv den engeln euch iſt níe we durch got geſchehē. ſo iſt mi̇r oft we geſchehen durch in. ich wil niht durch ewˢen willē von mínē hˢren gen da ſprachen die engel zv vnderm hˢren. hˢre ſie hat vns geitweizt vns ſei níe we durch dínen willen geſchehen ſi wolle niht durch vnſern willen von dannē gen da rif vnſer hˢre mariā magdalenaz vnde ſprach. ſprich hintz alheidē daz ſie vō meiner rehtē ſeiten ge da ſprach ſie zv marie magdalene ez ſagt daz ewͣngeli von dir daz vnſer herre ſiben teufel von dir traip ſo waiz ich niht daz ich totſunde ie getet Da ſant er doch ſand pauls dar hintz dem ſprach ſie er wer ein ehter der criſtenheit ge=weſt. ſie wolt durch ſínē willen niht von irm hˢren gen da ſant er petrū zv ir dem itweizt ſie er het vnſers hˢ=ren driſtunt uˢlaugent daz het ſie ine getan. Da ſant er iohannē baptiſtā dar Da ſprach ſie wer biſt du da ſpᵃch er ich bíns iohannes der taufer Da ſprach ſie haſt du ander leut getaufet vn̄ wilt du mich den̄ uˢdamē ſo muſt du mich auch tauffen da viel ſie an in vnd habt in Da tet er ir daz pend ab vnd goz ein ſchefli̇n mi̇t wazzer auf ſie. daz ſahen alle die wol die ín den kor gíngē daz daz wazzer da ſwam da ſagt ſie ez der priolín Da ſchriben ſie ez dem priol von Regenſburg daz er dar uber diſputiret wie man der ſweſter tun ſolt. da komen die prediger her vnd ſprachē ſie hetē dar uber geleſen ez wer eín tauf der genaden man ſolt ir doch criſtenliche reht tun da ſantē die predigˢ nach ir muter vnd fragtē ſie. wie ſie getauft wer Da ſprach ir muter ich enwaiz ſie wart geheling getauft. doch iſt eine frawe hie mit mir die hat ſie mit der hende getauft Da fragt man die frawen wie ſie ir getan het da ſprach ſie ich han ir gar reht getan. in dez guten hˢren ſand Nyclaus han ich ſie getauft da namē ſie die prediger vnd tauftē ſie do vnd wurden ſelber totē. dˢ waz bruder heínrich von abbach ainˢ dar nach tet ir vnſer hˢre ſo grazze genad an der mitwochē ín der martˢ wochen da ward ſie entzuket biz an den oſterabent vnd ſach ellew dev dink die an vnſˢm hˢren ergangē warē vnd bruft daz man ín an der ſeul geſlagē het daz er da an dem drittē ſlag geblut het da ſprach er an dem creutz zv ir du ge=mintev daz han ich durch dich erliten waz leideſt du durch mích da ſie dēnoch íunch waz vnd niht vol wahſen da ſprach vnſer hˢre zv ir. ich wil dir geben eín auf derlegte perſon vnd wirdeſt auch die gewaltigſt priolín die ín diſem cloſtˢ ie wart vnd die ſeligſt. ich mag aber meíns ſpils niht mi̇t dir getreiben als ich ſuſt tet nv wel waz du wilt da ſprach ſie nain hˢre ich mag deiner genaden niht entperen da ſprach vnſer hˢre hab dir dez eín vrkunde daz du furbaz mímˢ mer niht lenger wirſt vnd daz ich noch grozz wūder mi̇t dir triben wil Der teufel tet ir grozez lait er riet ir ſie ſolt auz dem cloſter kumē ſo wurde ſie die ſeligſt vnd die reichſt die vnter allē irm geſleht wer. er kom etwenne ín der ſweſtˢ glichnuſſe vnd braht ſi auz dem kör vnd ſprach daz ſie den frawen etwaz dínte. als ſie denne auz dē kör kom ſo verſwant er. als ſie denn an irē gebet waz. ſo ſprach er nv beuer nv beuer wen̄ du nv alt wirſt ſo maht du nihts mer getun. ſo ſprach ſie. ſo han ich doch daz uor mir. eínez nahts kom er zv ir vnd wolt ir eínē brif leſen da kom ir engel vnd nam ím den brif vn̄ uˢtilgt ín mít ſíner hant. vnd warf ín fur daz pet vnd ſprach du ſchone mínnerin ich bín dir ze hilf kumē Ez wer vnmuglich geweſt vnd heſt du ín gehort. daz du raínez hertz nímer mer heſt gewunnē dez morgens do vande mā den brïf daz er waz uˢtilgt von dē engel. da ſie gehorſam ſolt tun do wolt die priolín ir gehorſam niht nemen do von daz ir vater der ſiechen leute. waz. da ward ſie ſo ſere betrübt daz ſie ging fur eín crucifix. daz man noch fur laitet vnd waínt als ſere daz ím ſin füzz nazz wurden. Da nam vnſer hˢre die hant von dē creutz vnd riht ſie ſelber auf vnd ſprach zv ir riht dich auf ich wil dir ſelber eíner gehorſam helfen. daz fugt ſich kurtzlich daz der praítenſteinˢ die priolín zech ſie het ín vˢratē da müſt ſie von der vnſchulde entwichē hintz Regēſpurch zv dem heiligē creutz da waz ſie lāg do welt man eín andrew priolín die nam ir gehorſam willeclich Ez wart eín edelman enthaubt der waz eíner ſweſter aller menſchē libſt da weſt níemant von. do gíng ſie hín vnd ſprach daz man got für ín bet. er het den leip uerlorn er waz verre vō dem cloſter Ein prediger hiez bruder Conrat vō Eyſtet vnd waz lang vnſers cloſters pfleger der het grozz lieb zv ir durch ir heilicheit. do het ſie die genad ſwa er meſſe ſprach ez wˢ vˢre oder nahēt ſo ſahe ſie vnders hˢren licham ín ſínē henden vnd ſwaz er tet wider got daz hub ſie im auf ſwenn er zv ir kam daz fugt ſich zv eínē mal daz er her fur vnd wolt peteln ín der terme do kom ſie mít bet an ín daz er ir vnſern hˢren geb daz waz ín der zit daz ín der Couent niht ſolt nemē da ſprach er ich mag ſín niht getun ich müz gen be=teln ich han mich uerſeumt da ſprach ſie nu get hín vnd ſeht waz ir gewīt vnd da er lang gíng da gewan er niht mer danne drei helbling. Da wart er ſich erkennē vnd bat ſie daz ſie ím vergeb Da ſprach vnſer hˢre zv ir ich han eín lieht zwiſchen dir vn̄ ím erleſcht daz nímer mer entzunt von den ſelben zeiten da ſach ſie vnſˢs. hˢren leicham in ímer ín ſinē henden vnd weſt auch furbaz niht mer waz er tete. wan̄ er niht bei ir waz Ez waz eín prediger der waz ei̇nˢ fra=wen gar getrew Da uˢſagt ím die fraw ir trew mi̇t ſmehigen wortē daz clagt er vnſˢm hˢren. die weil er ín. ín ſinen henden het. dez ward alheit im kör innē vnd ſprach zv der ſweſtˢ biz ge=dultig ez ſol gröz leiden auf dich vallē ich han gehort daz der prieſtˢ vnſerm hˢren hat uber dich geclagt die weil er ín ín ſínē handen hat gehabt Einez tagez wart ſie entzugt híntz Beta=nía dez tags da er Lazarum von dē tode hiez auf ſtene da waz ſie ze tiſch geweſen vnd het alle die geriht geſehen die ſie gezzen heten Da ſprach andreas lazzet die ſchonē mínnˢín zv vnſˢm hˢren her auf ſitzen daz geſchah ez kom oft die zit von genaden. daz ſie die ſwˢen buch als wol bedeutē kond als eín wol gelerter pfaff. als die zit denne uˢgink ſo konde ſie ſin niht mer. wanne ſie waz niht gelert. ſie waz ein wol beſnítenˢ menſch vnd kom ir oft von uberigˢ mínne dar zv daz ſie vil ding tet on leiplich ſínne als ſi denne ín den chör gínk vnd eín frawen ſuchen ſolt. als ſie den ſarch an ſach da vnſers hˢren leicham ínnē waz ſo ſprang ſie vnd ſang vnd wicht dergegen uor ubˢigen freuden. wen̄ ſie den̄ ob dem werk waz. ſo ſahe man wol daz ſie on alle ſín=ne worht. wan̄ ir ſínne warē ín got den̄ ze naht nach tiſch als ſie ín den garten gínk daz ſie denne uon den ſweſtern eín ſuzez wort von vnſˢm hˢrē hort ſo kom ſie von ir ſelber vnd ſprank ie von eínē baum híntz dem andern. vnd druket die baum an ir hertze als man ſie den̄ fragt. waz ſie do mi̇t maīte ſo ſprach ſie da iſt mír reht ſam ieder baum vnſer hˢre (Jesus) (Christus) ſei̇. als ſie dan̄ ín daz ſlafhus ging ſo ſprach ſie íe ah. liebˢ hˢre (Jes)u (Christus) gen wir mi̇t ei=nander den berch da auf hín Ez kom zu eím mal daz ſie die vers ín baiden choren las Da ſprach die priolín zv ír du tuſt ſam eín gans. ſing ín dínē chör vnd laz eínē chor ſten. da fledert ſie mit den armē vnd wont ſie wer eín gans biz die priolín ſprach du biſt keín gans da liez ſie aller erſt von der vngeperde Einez mals da ſolt man mahen mezzen da ſaz ſie in daz maz da ſie der bruder her auz hiez gen da ſprach ſie ich wil niht her auz gen. wan̄ ich ſihe mínē hˢren (Jesu)m (Christu)m bei mír. wilt du ſo ge her eín zv mír. er iſt ſo ſchon du ſihſt in als gern als ich Er baitet aber ein weil vnd ſprach doch ich müz daz maz haben Da ſprach ſie Conrad laz dínē zorn varn. ich kum hínauz niht die weil ich ín hínne bei mír han. wilt du ſo ge her eín zv vns ich waiz wol vnd wˢ dir als wol als mír du komeſt niht her auz da wart der bruder als ſere entzunt vō mínnen daz er auz braſt mít waínē vnd mít ſchrien vnd lief zu dem tor auz alſo belaib ſie ín den genaden ein gut weil vnd gi̇nk do her auz Sie het einē bruder vnd ein geſwiē die trug etwie vil tote kint da ſant ſie nach ín baiden vnd ſprach zv im ſich bruder waiſt du níht daz gotes rache auf dir ligt. nv waiſt du wol daz du di̇n ſwiger beſlaffen haſt do von ſterben alle dine kint uor der purt do vō erkenne dich vnd wird eín geiſtlicher man vnd ſie auch oder ez legt got gröz rach auf euch dez volgten ſie ir vnd er wart ei̇n teutſchˢre vnd ſie kom in vnſer cloſter. ez kom oft daz ſie der leut gutet vnd irn gebreſten wol weſte von vnſˢm hˢren. do die zit nv kome daz ir heiligez leben ei̇n ende ſolt nemen da ſant ſie nach etlichē ſweſtˢn vnd tet in irn tot kunt Da ſprachen ſie hín wider liebe alheit. waz haſt du da mít gemaínt daz du dir zv ſande peters meſſe vrlaup neme von vns vnd daz du ſprecht vnd geleb ich ſand peters tag ſo ſtirb ich niht in diſem iar da ſpᵃch ſie hin wider da iſt ſín heut drizzig iar an dem tag. daz vnſer hˢre ſprach zv mír ich wil dich ziehen uber den mirrē berch vn̄ wil dich den̄ mít eren kronē in der zeit ſo die lerch ſingt ſo ſingeſt du vor meiner heiligen driualtikeit da ſprach ich hin wider liebˢ hˢre wenne ſingt die lerch da ſprach er zv ſande peters tag kathedˢ da von han ich min leben immer mer gezelt auf den ſelben tag alſo daz mein lebē ein ende ſolt haben Da waz ei̇n andrev ſweſtˢ die traut niht daz ſie ſterben ſolt da gíng ſie zv ir vnd ſprach berait dich du ſtirbeſt. e dan̄ ich vnd daz geſchach Diſe heilig ſweſter die ſtarb an einem freítag ze mittem tag vor ſand peters abent als ſie ſprach offenlich maníg ſtunde frew dich ſel meíne frewe dich an dem nehſten ſuntag ſo biſt du ín dē ewigen freuden Eín ſweſter hiez els von ſehſſencham vnd waz von dē hohen gebirg purtig vnd het dez hˢtzogen von bairn ambtman eínē der uerlös den leip do kō ſie zu vnſer ſamenūg vnd ward eín gute fraw vnd do sie etwie lang ín dē cloſtˢ waz. da ſprach vnſer hˢre zv ir Elſpet war vmb biſt du ín daz ellend kumē. da ſprach ſie. hˢre durch dínē willen Da ſprach er zum andern mal elſpet war vmb biſt du ín daz ellend komē da antwort ſie. hˢre daz ich dir deſter lieber werde. Da ſprach er zem dritten mal die ſelbē rede. da ſprach ſie hˢre daz ich dir deſter neher ſei vn̄ werde Da ſprach er ſo biſt du mír ni̇ndert neher denne ín dē Couent zu eím mol da ſah ſie ín eím geiſte=lichen geſiht vnd kom an eín wunnecliche ſtat da waz gar eín ſchonev Iunchfraw da kom vnſer hˢre (Jesus) (Christus) ín eíns mí̄neclichē kindelins weiſe vnd ſpilt allez mit der íuncfrawē da het ſie gern geſehen daz ir daz kindelī auch gutlích het getan vnd het grozz gerung dar nach. da tet ez ſin niht. nah diſer geſiht da gewan ſie grozzer leidē tag vnd naht an irm hˢtzen vnd het ez da fur er het ſie vˢſmeht da vō daz ſie eín witib waz er wolt ir niht gutlich tun Da erſchaín er ír anderweit vnd ſprach. ſol eín kínt vor dínē genaden ſíner muter niht gutlich tun ſie iſt mín muter. Da uerlos ſie erſt ir leiden. uor irm tod wart ſie ſer krāc da ſprach eín ſtīme zv ir. weder wilt du lieber ſterben an vnſer frawē tag ín der vaſten oder am karfritag da ſprach ſie ich wil liebˢ ſterben am karfritag daz ergíng alſo vir tag da vor da erſcheín ir vnſer hˢre vnd redet gar minneclich mit ir vnd ſprach er wolt ſie allez dez ergetzzen daz ſie ie erliten het alſo verſchid ſie am karfritag ze míttem tage. Eín ſweſtˢ hiez alheit vnd ſaz auf vnſerm hof. vnd waz eín begín geweſen vnd waz eín guter mēſch vnd hort gewonlich die meſſe mít grozzer andaht vnd weſt auch kunftige dínk da erplīdet ſie vor irm tod vnd wolt niht mer zvm capitel gen Da ſprach eín ſtīme zv ir. Du ſolt ez durch dín geſiht niht lazzen du ſolt dar gen da die zit kom daz vnſer hˢre ir leben wolt enden da lag ſie mit grozzer andaht vnd ſang diſe wort. frew dich tohter von ſyon ſchone botſchaft kumet dír du ſolt ſingen ſuzzen ſank nach allez dínez hˢtzen gir. du biſt worden gotez ſchrī do von ſolt du frolich ſín vnd ſolt niht leiden hˢtzen pín. wol her an den raien den ſchone kínt wol ſehen. Jubi=liren meditiren. Jubilirē contempliren jubilirē ſpeculiren jubilirē concordiren diſe wort ſang ſie emziclichen an irm tode vnd ſunderlich dez tags da ſie an ſtarp vnd dez tags do vor daz ſie als lang niht vngeſungē waz. daz mā die ſiben ſalm moht haben geleſen Eín ſweſter hiez criſtín von kornburg die waz eín emzige dínerín vnſers hˢren (Jes)u (Christ)i vnd eín getrewˢ freunt dem cōuent vnd gíng emziclichē hintz chor vnd waz allez dez flizzig daz den chor an gehort vnd mi̇t lernū=ge vnd mít ſwigē vnd an allen ordē=lichen díngē ſie waz eín gerehter mēſch vnd het vil leidens von mangˢ lai ding. doch het ſie eínē geſundē ſtar=ken leip da dínt ſi got mi̇t grozzē ern=ſte ſie het eín cleíne kunſt gelernt vn̄ kom dar zv mít den gnaden gotes daz ſie grozze ſwerew buch ze tiſch deutet da die zit nv kom daz vnſer hˢre ir arbeit volenden wolt. do kom ſi eín grozzer ſiechtum an daz ſie ſich berihtet vnd wont ez ſolt ir ende ſín. daz zoch ſich in daz ander iar. In den ſelben ziten lag ſie mít grozzē ſmertzē dez leibs vnd in grozen geiſtlichē freuden vnd in gotlichem íubilo reht als eín trunckner menſch. wanne ſie waz werlich trunken von dem kiper wín den man ín der engel lant liſt. Daz ertzaigt ſi wol mi̇t eínē auzbrechendē vngelinpfe wan̄ ſie hub oft an bei tag vnd naht vnd ſang mi̇t lauter ſtīme den namen (Jes)u (Christ)i mit grozer ſuzzikeit ín den ſelben ziten ze weínaht do erſcheī ir vnſer fraw mi̇t irm liebē kínd vnd troſt ſie gar lieplich vn̄ ſprach ſie wolt ir allez dez leidens lonē mít grozzen freuden dez ſie ie erliten het Dar nach ze oberſten do kom ein himeliſch liht uber ſie daz ſah ſi niht alleín ez ſahen ander ſweſtˢ auch dï dez zevg ſín da wart ſie ínnē entzu=ket vnd ſach aber vnſer frawē mít irm kinde in der herſchaft als ir die drie kunig daz opfer brahten Dar nach an vnſer kirchwei nach vnſer frawē tag natíuítas Da nam ſie vnſˢn hˢrē ze prímezit. da ſie doch zv ire ſelbˢ kom da ſprach ſie moht ich uor krācheit ich wolt euch ſagen daz wunder daz got mít mír getan hat vnd daz ich geſehen vnd gehort han daz drizzig cloſter da von mohten reden. ze aller heiligē meſſe an eíner naht do kom ſand iohans baptiſta zv ir wan̄ er waz ir aller heiligē libſte ín eínē ſo grozzē lieht daz deu ſtüb aller derleuht wart vnd ſprach mi̇t troſtlichē worten zv ir ich wil ſchir her wider wider kumē mit grozzen freudē vn̄ wil dir allez dez lonen dez du mír ie gedínt haſt Da ſprach ſie awe awe wie haſt du mich ſo lang gelazzen ín mínē leiden ich het dir ſín niht getraut diſer freuden moht ſie niht verheln vnd ſchrai mit lauter ſtí̄me daz alle die erwachtē die ín dem ſichaus lagen Dar nach zv ſand mertíns meſſe do kom die íuncfraw ſand agnes mít der menig der íuncfrawē in eine grozzē lieht vnd ſprach zv ir frewe dich der zit die komē iſt daz dich got ergetzzē wil allez dez du ie erlitē haſt wann diſe iuncfraw waz ir aller iuncfrawē liebſte ſie het funfzehen iar die bekorung daz ſie oft wolt wenē ſi wˢ der vˢlorn menſchen eínez. an vnſer frawen abent annūciacō do kom ſie an ir gebet vnd vielen ir eín diſe wort alle die vnſer frawē ie ihts gebeten heten vnd die ſprechen ſie hab ſie vˢzigen die ſínt reht lugner ſie vˢzech níe keínē mēſchen der ſie mít rehtē ernſt bat dar zv viel ir eín. wol alle die. die got wol getrawē zehant do wᵃt ſie got ſo wol getrawē daz ſie furbaz ímmer mer gotlicher ſterk mer het denn vor ſie ueriach vor irm tode daz ez ir oft dar zv wˢ kumē. ſwen̄ ſie vnſˢn hˢrē het genomē vnd auch ſuſt an irm gebet daz ſie vor ubˢigē gnaden als vol wart als eín vollez vaz von der meníge der ſuzichait da die zit nv kom daz ſie vō der werlt ſolt ſchaiden Da ſahen etlich ſweſter ín dem geiſt daz ir ſel allē írn geliden danket do ſie got ſo wol gedi=net hetn̄ do kom vnſer hˢre (Jesus) (Christu)s vnd ſín liebew mütˢ mi̇t allē hímeliſchen her Da ſprach ſie hˢre ich wil neur mit dir mit dem für ſie in die ewigen freude on alle peín vnd on allez míttel diſe dínk wurden geoffenbart nach irē tode etlichen perſonē Ein ſweſter hiez peters von bírkenſee die waz lang priolín geweſen vnd het groz arbeit ín der gehorſam gehabet die ſaz ín ir zelle vor irm tode drei tag do kom vnſer hˢre ín eíns kindelíns wiſe vnd waz vnmezlich ſchön vn̄ ſpilt uor i̇r da ſprach ſie zv ím liebez kint haſt du kein muter da ſprach ez ia. da ſprach ſie aber haſt du eínē vater Da ſprach ez ia. meín vatˢ iſt ewiglich geweſen Da ſprach ſie ſo biſt du ez (Jesus) (Christus) da ſprach ez ſo biſt du eín kínt dez ewigen reiches Dar nach ſtarb ſie kurtzlich mít eínē rihtigē töd Eín ſweſter hiez Vt von regenſpurch die het vil arbeit mít den ampten erliten vnd tet die mít grozē fleizze vor irm tode. do kom ſi. ei̇n grozzer ſiechtum an. da lebt ſie mit grozzer andaht ínnē. daz ſie die engel hort ſingen daz ambt. da ward ſie vnmezlich fro. daz ſie auz brach mít eínē íubilo daz ſin alle die ínnē wurden die da gegenwˢtig waren vn̄ wenn ſie vn=ſern hˢren nam ſo nam ſie ín mít ſo grozzer minne daz alle die da von ge=bezzert wurden die da gegenwurtig wa=ren nach irm tode da ſprach vnſer hˢre von ir zv eìner ſweſter. ſie hat mir nah geuolget die weil ſi moht in rehtˢ gehorſam da ſie do nímmˢ moht vor krankheit do hon ich mich níe von ír geſcheidē Eín ſweſtˢ hiez diemut Ebnerín von Nurnberch vnd waz ím cloſtˢ geweſen ín dem ſehs vnd ſehtzzigſten iar vnd dienet vnſˢm hˢren emziclichen vnd ſunderlich mít grozzē gebet. vnd tet da zu die groſten ambt i̇n dem cloſtˢ von iugēt auf. ſie waz eín íunger mēſch da ir vnſer hˢre erſchaín an dem oſtertag vnd ſach mariā magdalenā bei ím vn̄ hort vnd ſach alle die dínk die zwiſchē ín baiden geſchahen. Dar nach vˢiach ſie daz ir vnſer herre vor vil iar groz=zen troſt het geben von ſíner vrſtend vnſer hˢre tet ir kunt drizzig iar. er het ſie enpfolhen ſand iohans ewan=geliſtē vnd ſant mertín vnd ſprach het ich iht liebers vnd zerters gehabt dē het ich mín müter enpfolhen dem het ich dich auch enpfolhen. do het ſie man=gen troſt von ſand iohans ewͣngeliſtē da enpfalch ſie ín auch allen irn freū=den daz ſie ím vil dínten vnd ſant mertín. ſie het auch grozzē troſt von den en=geln. vnd ſprach ſie kant irn Engel auz tauſent engeln wol. zv eínē mal do ho=ret ſie an aller engel tag Die engel dē reſpons ſingē Te (sanctum) (dominum). vnd da ſie an den vers komē. Cherubín daz ſungē ſie mít drien ſtīmē daz ſprach als gar ſüzlich daz waz vber menſchlich ſínne. ſie het die gewonthait daz ſie dē heiligē Geruaſío alle tag etwaz betet da erſchaín ir ſeín bruder prothaſíus vnd ſprach zv ir. war vmb beteſt du mi̇r auch niht ich bín ín dem hímel als hoch als er du ſolte mír auch beten daz tet ſie do furbaz ſie wart auch entzuket ín daz irdiſch paradis vnd ſprach oft ſie weſt als wol wie ez ín dem paradis geſtalt wˢ als ín dem cloſter Da ſah ſie heliam vnd enoch die reten mít ír vnd zaigtē íre die wunder die dar ínne waren ſi ſach etlich baume die hetē eín halb zitig fruht vnd blutē ander=halb etlich baum trugē die fruht die dennoch niht vol wahſen waz vnd die fruht die vor langer zit ab geuallē waz die waz als friſch als die in dez ab vielē ſie ſach eín ſweſter die waz uˢſchaiden auz irm cloſter ím paradís da ſprach ſie zv ir biſt du noch ím hímel niht Da ſprach ſi ia ich werlich. waz tuſt du denne da. Da hat mich got ze troſt her zv dir geſant eya ſo ſag mír etwaz von ſíner ſchön da ſprach ſie. frag mich niht von ſeíner ſchon. frag mich von ſiner barmhertzi=keit vnd wer allez daz laup daz ie gewuh=ſe vnd allez daz gras vnd daz ímmer mˢ gewehſt. wern daz allez meiſtˢ vō paris ſie konden niht vol reden noch vol ſcriben die barmhertzicheit die an got ligt vnd ſunderlich die barmhˢtzicheit die er hat an dez menſchen tod. doch wil ich dir eín glichnuſſe sagen von vnſers hˢrē ſchön ez iſt aber als vnglich an eināder als weiz vnd ſwartz. vnd wer eín kirch von lauterm geſlagen golde vn̄ ſchínē hundert ſunnē dar eín vnd daz ie die ſunne ſibenſtunt als ſchon wˢ vnd als clar als ſie ietzund iſt. vnd ſchin in daz golt daz wer ei̇n grozzˢ ſchín daz wer der mínſtē ſchon niht geleich die an got ligt. ſie vber traht vnſers hˢren marter alle tag da ir daz als we tet. da viel ſie ein wunder ein. vnd gedaht waz freuden die heiligē im himel haben von ſínē wunden da ward ſi entzuket in den himel vnd ſah vnſern herren ī hímel ín ſínē eren ſitzē vnd in grozzer wirde vnd ſach ſín wunden an hendē vnd an füzzen vnd die im ín ſin ſeítē gínk die prehent ubˢ ſie alle vnd ſchi=nen ín die heiligē dríualticheit vnd ī allez hímeliſch hˢre vnd wˢ niht mer freuden ím himel denne von ſinen wunden ez wer grozzer freuden genuk dar innē. Da ſprach vnſer hˢre zv ir ním war diemüt ob du mich erleiden mugſt du ſihſt mich ietzund neur als durch eínē ſlímē. her nach als du mich wirdeſt ſe=hen durch den ſpigel mínˢ gotheit zv eínē andern mal do waz ſie an ir andaht da wart ſie aber entzuket in den himel vnd ſah vnſˢn hˢren ín ſíner clarheit vn̄ an vnterlaz glanaſter von ím furen die waren an irm ſchín grozzer vnde ſchoner. danne die naturlichen ſterne vnd ſunderlich drei. die brehten uber ſie alle vnd wurfen irn ſchín wider in die gotheit da gab er ir zerkennē daz die ſchein wern die ſel die er auz ſiner gothait ſant ín der menſchen leib vnd ſunderlich die drei daz ſínt die meſchē do mít er ſundre wunder mít wolt tün die muzen von diſem widerblik ímmˢ mer ſenūg nach mi̇r haben denn ander menſchen der ſelbn̄ ſel haſt du auch eín ſie het vor irm tode eínē ſmertzenlichē ſiechtū Da ſah ſie vnſˢn hˢren an daz cruce nageln vnd ſprach zv i̇r als vil ez dir muglich iſt ſo muſt du meíner martˢ glich wˢden uor ir̄ tod ſiben wochen wart ſie entzuket an eínē tag daz man wōt ſie wolt ſterben. da ſi do zv ir ſelbˢ kom da ſprach ſie zu irs bruder tohtˢ du ſolt di leut niht mer ubˢ mích bríngē vnd ſolt mich niht mer noten ze ezzen ich vordˢs denne. furbaz nert ſie ſich mi̇t claíner leiplichē ſpeis. vnd ſprach ich waiz die dink die ubˢ zweíntzig iar ſullē geſche=hen. vnd ſunderlich ſterben vil men=ſchen nach mír daz geſchach auch. ſie ſprach daz wort dik. ich han go=tes als vil vnd het ſín all die werlt als vil ſie het ſin genug vnd iſt aín grozz wundˢ daz got als volliclich wōt ín mír daz wunder iſt daz mín hertz niht bricht In den ſelben ziten do wart ſie gebeten daz ſie etwaz ſagt von iren gnaden do ſie ínnē wer. da ſprach ſie ich waz gezuket ín den hímel vnd ſah den auz fluz der gotheit der da fleuzt ín die engel vnd ín die heiligen do vō iſt mír vnd allen menſchen vnſprechē=lich da ſprach ſie moht ich uor krancheit gereden ich wolt euch ſagen von dē hímel=rich grozze dínk. an aller heiligē tag do ſprach ſie ez ſínt vil heiligē bei mir geweſen vnd eín grozze ſchar der engel. da fraget man ſie ob ſie der heiligen iht het kennet . ſie ſprach ia ir etlich=en wol. ez ſah eín ſweſter daz ſie lag vor irm tode ín eínē hímeliſchē lieht dar nach verſchied ſie mi̇t eínē heili=gen ende an dem neundē tag nach aller heiligen tag Eín ſweſter die het vndˢn hˢren lang vmb eín dínk gebetē daz er ír eín vrkunde gebe. ob ſie zvm hímel wer daz ſie ir bete gewˢt wurde daz geſchach an dem ſelben tag ín der ſelben wochen do ſie töt waz do kom ſie eíner ſweſtˢ zv da fragt ſie wie ſie ſich gehabt da ſprach ſie ich gehab mich wol ich neuz die. gotheit als volleclich vnd mín ſel hat ſo grozz gnade vnd freud mit got daz er gelobt ſei daz er mich eín ſtund níe uber hebt hat dez leidens dez ich gehabet han vnd meín krancheit hat mich cleret. mín ſiechtum hat mich ewiglich geſterket vnd ſprach híntz der ſelben ſweſter la dir liep ſín daz du mir. gedinet haſt. vnd wer alle diſe werlt rotguldín vnd ſolſt du ſie níezzē als lang du wolſt die mohſt du fur den lon níht nemē den dir vnſer hˢre dar vmb geben wil Eín ſweſtˢ hiez anne vorhtlín vō Nv=renberch die waz eín getrewe dínerī gotes vnd het eín ſieche ſweſtˢ der dinet ſie mit grozzer gedult ſie tet die groſtē ampt mi̇t grozzē fleiz vn̄ waz dar zu eín gemínte martrerín ſie trug ein herín hemde an vnd vˢgoz oft ir blut durch die minne vnſˢs hˢren ſwˢ gotes ioch tregt dem macht er ez gˢn ſüz vnd leiht alſo geſchach an der guten frawē Da ſie neur virzehen íar alt waz do erſcheín ir vnſer hˢre mít ſíner vrſtende an dē oſtˢtag Die ſelbē gab ſíner gotlichē mil=ticheit die teilt er ir mit alſo daz nī=mer keín oſtertag uergíng biz an irn tot er tet ir allweg etwaz ſun=der gnaden. an aller engel naht da ſah ſie ín eínē geiſtlichen geſiht vnder der mettín da man ſang die an=tiphen factū eſt ſilenciū do kom eín grozze ſchar der engel ín weizzē clei=dern vnd ſtunden zv der ſamenung vnd ſungen eín ſo ſuzzen ſank daz waz vbˢ menſchen ſínne. Eínez anderntages vntˢ complet da erſchaín ir vnſer hˢre als er waz vmb drizzig iar vnd zaiget ir ſín mí̄neclich antlutz da gewā ſie vnſprechenliche ſuzikeit von. Dar nach an eíner criſtnaht nach der metín da lag ſi vor eínē alter vnd ſah daz mī=neclich kínt ligen auf eínē hˢten hev daz het ſín zartez leiblín durch geſto=chen daz ez rote rennelín het. aber ze einē mal da waz ſie an irm gebet da ſah ſie ín aber ín ſíner mínneclichen kintheit vnd het ſchon gewentlín. an vnd ſpilt vor ir gar mí̄neclich da ward ir hertz von mínnē prínnē vn̄ gedaht ir. vnd het ich dich ich gez dich vor rehtˢ lieb do antwort ez irn gedanken vnd gepart gar tretzlichen vnd ſprach ich laz mich niht alſo níezzen vnd tet ir die ínnern ſínne auf vnd gab ir ze verſten daz er ez maínt auf die heilicheit der ſacramēt. Eínez tags da waz ſie ín dem chör an ir ínricheit. do erſcheín er ir mít ſíner erlichen vrſtende an dem drittē tag dar nach do erſchi=nen ir drie hˢren vnd vmb gap ſie eín hímeliſch gewant daz eín ᵱſon dar auz wart vnd zaigt ir do mít. ſeín lobelich dríualtichait. Do goz er ín ſi den fluz der. gotlichen ſuzzikeit. der wert ir in irm hˢtzen drizzig tag. da ſi do waz vmb funf=zig iar do wart ſie erwelt zv eíner pri=olín. da tet abˢ vnſer hˢre. als der ſeíner gemíntē níe verliez vnd ſprach diſev gnoden reiche wort zv ir. ich wil bei dir ſeín in allen dínē ſorgen vnd wil dich beſchirmē vor allen dínē vínden vnd wil dich mi̇t eren loſen ín der zeit gíng ſie vil vnmutez an von dez ambtes wegen daz ſie eínez tagez an irm ge=bet waz. da ſprach ſie zv vnſˢm hˢren ach hˢre daz du mi̇r ſo wol gelobt haſt vnd daz ich nv ſo ellendiclich leide do ſprach vnſer hˢre ich han dich níe keín weil gelazzen. ich hab alleweg bei dir gewont. ſie hub ire augen auf vnde blicket ín an. do waz er ín der ſchone als er waz vmb drizzig iar vnde tet drie trit fur ſich vnd ſprach du muſt ín mín fuzztrit kumē. aber do het ſi vor etlichen iaren an eínē oſter tag war genomē wie die naturliche ſunn ſpilt. da ſah ſie vnſˢn hˢren ín den wolken vnd het den vannē ín der hant vnd knít maria magdalena vor ím vnd ſpilt die ſunne gegen ím. da ſi do als lag ſiech die ſehs tag uor irem tode. da las ſie die ſchonſten vers die an dem ſalter waren. als man denne zv ir ſprach. ez tet ir we. ſo ſprach ſie ich mag ſín niht gelazzē. mir iſt nín=dert we. eínez tagez do waz ſie an irm gebet vnd opfert vnſˢm hˢren ir lei=den vnder ſtilmezze do erſchaín er ir ín eínez Iunglíngez weiz vnd ſprach zv ir ge in daz ſiechaus ſo wil ich zv dir kumē vnd wil dir all dín ſach wol auz rihten da ſie nv ín daz ſiechaus kom do begraif ſie eín naturlicher ſiechtū der wert biz an den ſehſten tag vor irm tode da gab man ir vnſers herrē leichā da erſchaín er ir abˢ mi̇t der vrſtend e. daz ir ſel von irm leib ſchied do hort eín bewˢte ſweſtˢ als do eín grozz her auf brichet mít mangerlai ſuzzem ſaitēſpil. da ward ir ze verſten geben daz ez wer achacíus mit ſínē her vnd wolt bei irē ende ſín diſe ſweſter moht ſich niht enthalten ſie rekt ir hende auf vnd ſprach. we hˢre waz freuden ín dínē haus iſt. do verſchied ſi mít einē hei=ligen ende. Eín bruder hiez Gotfrit dem wart kūt getant ez ſolt ſíner eníclín aínez ku=men zv vnſer ſamenūg. der ſelb mēſche wirt dez wirdig daz er der marterer lon ſol enpfahen diſe dínk tet er dem Couent kunt vor ſínē tode daz geſchah alſo daz der couent ſeíner eni̇clín eínez enpfínk nach etwie vil iaren nach ſínē tode. der ſelb hiez brudˢ Rudigˢ vnd waz ei̇n wol gezirter mēſch mi̇t allen tugendē vnd alle die ſín wā=del ſahen die wurden do vō gebezzert vn̄ ſunderlich gab man ím die zeugniſſe. daz er eín reíner degē waz. da er alſo bíe vns gewont het ín daz aht iar do ward eín vbel tetiger mā mít dem cloſtˢ kri=gen vmb eín erb der ſprach zv ím daz er ím die priolín hiet gut geben tut ſie dez niht ſo geſt du furbaz vngewˢlich zv mír. do ſagt er ez der priolín do ge=bot ſie ím bei rehter gehorſam daz er tet waz er ze ſchaffen het. vnd ez durch ſínē willē níht liez. ín die gehorſam gab er ſich willeclich vnd dar nach kur=celich ſlug er ín ze tode do er ze meſſe wolt gen an eínē ſuntag. daz grab da er ínne lag. daz hat ſeit geſmeket als eín aptek die zeugnuſſe gibt ma=níg menſch werltlichs vnd geiſtlichs Eín ſweſtˢ hiez elſbet von Klíngenburg vnd waz deſ ſtifters eni̇clín die bet gar emziclich vnd ſunderlich las ſie vil ſelter vor irm tode wol ahtzehen wochē da kom ſi ein ſwerlichˢ ſichtum an Da ſprach brudˢ conˢr von fuzzen eín predigˢ. ſie ſolt irn willē in gotez willē geben Da ſprach ſie ee ich mich wider gotez willen wolt ſetzzē. ee wolt ich den ſmertzen leiden biz an den íungſten tag da ſie nv kom an die zit. daz ſie ver=ſchaiden ſolt da ſah ein bewerte fraw daz ſand (Johans) kom vnd ſtund vber ſie Da ſah eín ander ſweſtˢ ím geiſt daz er kom mít den zwelfbotē vnd las daz ewangeli Inpⁱncipio vn̄ ſprach ich tun dir kunt vō vnſˢm hˢren (Jes)u (Christ)o daz er dir ſicherheit hat geben des ewigē lebens da horten ſi=ben ſweſter daz aller ſuzzeſt ſaiten ſpil ín den wolken daz kom vbˢ ſie ín dē vˢſchied ſi Sie het eín ſweſter die hiez elſbet von wal=dek die waz eín reht vnſeliger mēſch von irn íungen tagen vnd waz doch eín andehtige ſweſtˢ vnd het die heligē tag ín grozzen eren da . ſie mi̇t grozzē vngemach het gelebt biz an irn töt Da man ir die meſſ ſank requiem do hortē etlich ſweſtˢ daz die engel die meſſe uber ſungē da bat eín ſweſter fur ir ſel Da antwort ir vnſer herre vnd ſprach ich wil ir genedig ſín ſi iſt mir dar an glich geweſen ich gewan níe keínen guten tag uf erden. daz iſt auch an ir ergangen. Ein ſweſter hiez elſbet ortlibín vnd die waz ſuppriolín vnd waz an allen irē tün ei̇n ordenlichˢ geiſtlichˢ menſch ſie vˢiach vor írm tode. ſi wer drew iar ge=weſt alle tag daz ir vnſer hˢre ie vndˢ dem ewangeli ſíne taugen vnd kūftige dínk geoffenbart het. ir waz vn=ſer fraw gar liep ez gefugt ſich zv einem mal ín octaua aſſūpcoīs Da. mā ſang die ſequencē. Salue matˢ ſaluatoris. da ſah ſie daz vnſer fraw ob den ſwebt die meſſ ſungē vnd het ſie alle mít irm mantel vmb vangē vnd da ſie ſungē den vers. ſalue ma=ter pietatis (et) totíus. do kom eín groz=zer gotlichˢ ſchín vnd bedacket vn=ſer frawē da ward ir ze vˢſten geben daz wer die gotheit daz ſie der mer het enpfangē wan̄ dheín creatur diſev fraw uˢſchied mít eínē rihtigē tod. Eín ſweſter hiez kungund von vilſek vnd waz dez caplans Vlſchalks tohtˢ vnd waz ei̇n getrewe dínerín gotes. wol ahtzzig iar. vnd waz eín rihtigew fraw vnd ſie het der pabeſt ſelbˢ geert nv het ſie der Couent gˢn zv eíner priolín genomē vnd clagtē ſie oft vnde ſprachē awe daz dich got niht lezzet geſunt ſeín daz du vns ſo reht nutz werſt zvm ampt da ſprach ſie ich wil e. ſiech ſín biz an mi̇n ende e. ich priolī wolt ſín die begirde ſah vnſer hˢre an vnd liez ſie alweg ſiech ſín da het ſie gar ein heilige geſpiln die dint ir gar. mínneclich da die geſtarb da enpfalche man ſie eíner maid die tet ir gar herticlich. eínes tagez het ſies vngezzē lazzē daz ir all ir kraft vˢgangē waz do komē zwen engel gangē in zweír ſchonē íungling weis vnd heten durch ſihtig weiz. gewant an. vnd trug der ain. ein tweheln vmb ſín keln vnd eín grozze ſchön ſchuzzeln mít viſchen vnd ein ſchonez brot der ander trug eín kaneln mi̇t gutem wín vnd riht ſie auf vnd berait ir daz tiſchlín vnd legten ſie wider nider vnd vˢſwuntē. do kom die mait mit grozer hˢtikeit vnd ſprach riht euch auf vnd ezzet Da ſprach ſi i̇ch han genuk göz dez wolt ſie ir níht gelaubē da lag eíne laiſweſtˢ an dem nehſten bet die hïz eli=ſabet die ſprach la ſi ennot wan̄ ſi hat gezzen. wan̄ ſie het ez wol geſehen vnd geſehen vn̄ gehort. da liz die mait dˢ von Diſe vorgen̄ eliſa die waz der gehorſamſtē menſchen einez der ín daz cloſtˢ íe kome wie ſwˢ ir eín dínk waz daz man ſie híz tün ſo tet ſie ez on alle wider rede zv eínē mal waz ſi nach eíner criſtmetín in dem reuē=ter an irm gebet. do lof eín ſchon wenígez kindelín vmb ſi da ſprach ſie liebs kint haſt du eín muter da ſprachs ia. haſt du eínē vatˢ da ſprachs ia mein vatˢ der iſt ewig da ſprach ſi ſo biſt du vnſer herre (Jesus) (Christus) da vˢſwant ez zv eínē andern mal do ſtund ſie ín der capeln vnd do kom vnſer hˢre vnd trug eín grunez ſchapel ín der hant da bat ſie ín vmb daz ſchapel da ſprach er ich gib dir ſín ietzund niht her nach ſo gib ich dirs. an eím oſtertag nach meti̇n ſo iſt die gewonheit daz vil ſweſtˢ ín dem creutzgang beten da naigt ſie ſich ín daz venſter da vnſers hˢren ge=riht anſtet. do wart ſie entzvkt vn̄ ſah vnſˢn hˢren ſitzen auf eím tron. ín ſíner maieſtat. vnd die zwelfbotē bei ime. vnd all werlt vnter ím vnd ging eín brehender ſchin von ſinē antlutz der waz als clar als tauſent ſunnē vō im ſchínē vnd ſtund der himel offen obe ím. vnd kom ie vber eín weil eín groz ſchar der engel vnd die heiligen do ſie do wider zv ir ſelber kom. do ſah ſie daz der creutzgank voller kindelín lof vnd ſlugen ire hende ze ſamē vor freuden gen der vrſtende vnſers hˢren vnd ſprachen gebt vns auch gebt vns auch. ſie hetz do für ez wˢn ſel vnd ſie maínten frawē die die ſelter do laſen do hort ſie di drie tag die engel ſíngē. an eínē tag da wart ſie vber gozzē mit gotlichen gnaden vnd da ſi híntz irm pet wolt gen do wart ſie níder geſlagen als eín menſch der ſin leben ietzund enden wíl. da lag ſie lāg ínne daz die frawen wontē ſie wolte ſterben. ir erſcheín ſand mertín ín eíns biſſchofs weiſe vnd ſprach zv ir man ſol mi̇r min meſſe niht ab brechen. vor irm tod eínez tagez da waz ſi aber ín der cappeln da er ſchaín ir vnſer hˢre als er waz vmb zehen iar. vnd trug eínē krantz ī der hant vnd ſatzt ín ieder frawē auf die ín der capeln waren vnd nam ín widˢ vn̄ ze íungſt ſatzt ern ir auf vnd liez irn da vˢſtunde ſie ſich wol daz er ſie von diſer wˢlt wolt nemē. vor irm tode ſehs tag do horet eín ſweſter daz aller ſuzzeſt ſaitēſpil daz ie gehort ſolt wˢdē auzzē an dē ven=ſterli̇n da ſie lag nach complet vnd do daz lang gewˢt biz vˢre ín die naht da ke=ret ſie ſich híntz der caplan haus da wert daz ſaitēſpil als lang. da ſtarb hˢ frid\& caplā vber zehen wochen dar nach Diſer heilig caplan waz ei̇n gotlich man ín allem ſínē tun als er bei. den leutē waz ſo waz er ſo mí̄neſam daz ez wundˢ was. vnd als er denne an ſínē gebet was ſo waz er ſo ínhitzzig daz ez on maz waz er waz gezírt mi̇t allē tugendē do ez nv dor zv kam daz ím vnſer hˢre ſeíner arbeit lonē wolt do danket er vnſˢm hˢrē mit grozzem fleíz vnd ſprach hˢre bis mír genedig vnd gedenk dar an daz mír von mínē kíntlichen tagē alle díne werk wol habē geuallen do kom ſín geſelle her heím\& der caplan vbˢ ín mít grozzer clag vnd ſprach gemínter vater vnd getrewˢ bruder ich dank euch aller der trewē die ir mi̇r ie erzaigt habt vnd ir ſolt mír vˢgeben wa ir von mír betrubt ſit worden da ſprach er ich bín níe von euch betrubt worden. daz ir mi̇r etwen her=ticlich tat daz dínt ich wol. den̄ daz ich wol merket daz euch got gutlicher tet vnd daz ir euch vor mir dez hel nampt daz han ich ín keíner vnminne getan ich vorht dez ir ergert euch mins lebēs da ſprach er dez han ich mích níe geerge=ret. ich bín all weg von euch gebezzert worden. ſi veriahen dez baide daz ſie vir=zig iar bei̇ eínander geweſen waren daz ſie keín vnmínne oder trubſal níe ubˢ naht gen eínander heten gehabt die vordern naht. e. daz er ſturbe da ſah eín bewˢ=te ſweſter ín eím geiſtlichē geſiht daz die aller wunneclicheſt fraw die ie ge=ſehen wart vnd braht mít ir ein groz zierlich ſchar vnd ſtund an die ſtat do er begraben waz. ſi het da für ez wer vnſer fraw. die hochglobt muter vnſˢs hˢrē mi̇t dē hímeliſchen her Diſe ſweſtˢ ſah an der naht do er ſterben wolt vn=ſern hˢren vnd vnſer frawē ob ím mít dem hímeliſchen her. als ſie ez vor geſehen het. Da ſach eín ander ſweſter ín eím geiſtlichen geſiht daz die heiligē komē vnd trugen puntlín ín der hāt do wart ir ze verſten geben. es wˢ der groz dínſt den er den heiligē getā het von dem er ewigē lon ſolt habē ez wider für driem mēſchen daz er on allez mítel ín die ewigē freud wˢ geuarē. Eín ſweſter hiez elſbet mairín vō Nv=renberch die waz eín reíner menſch allez irs lebens. vnd ſprach oft daz ſie níe keínē belangē ín díe wˢlt gehabt het vnd begert híntz vnſˢm hˢren waz er ír guts wolt tun daz er ir daz an irm tod geb. eínez tagez do wart ſie ſich als vbel gehaben daz man wont ſie wˢ töt Da ſprach ſie vnſer hˢre iſt hie geweſē vn̄ hat mi̇r ſicherheit geben ewigs lebēs do ſi nv ſterben ſolt do kom vnſer hˢr mít auf gebraitē armē vnd vnſer fraw die braht eínē brief da ſtund an daz lang gebet daz ſich an hebt aue maria Daz het ſi vmb ir ende geleſē vnd ſant johans ewangeliſt vnd der engel vnd der heiligē eín groz ſchar in dem verſchiet ſie nach irm tode kam ſi hˢ wider eíner ſweſtˢ vnd trüg eín grïntez gewant an mit grozzˢ ge=zirde vnd eín herlich kron auf irm haubt. ſi het eín furſpan mít edelm geſteín daz bedekt ir allez ir hertzze vnd waz lautˢ als eín ſpigelglas da ſah man allen den dínſt ínnē den ſie vnſˢm hˢren ie het getan Eín leiſweſtˢ hiez agnes von Entenbˢg gar ei̇n feíner menſch vnd eín getrew dínerín vnſers hˢren die wart eínes tags gefrogt ob ir vnſer hˢre iht ſunder gnaden tet. Da ſprach ſie do von wil ich niht reden on ein dínk ich bín etwenne virtzehen tag vnd naht nach eínander geweſen daz ich als gröz ſuzzikeit han gehabt von got daz ich weníg vnnutzzer gedank ín mi̇n hertz kom ín den ſelben zeitē bruft ich daz ez mich irret mínez ſlafēs vnd ezzens. Ich wil euch ſagē von rege Elſen vō Re=genſpurch bei der ſtund ich an einem pfíngſtag da ſah ich vntˢ dem veni̇ cre=ator daz der heilig geiſt kom in einer tauben weiſe auf ir haubt vnd ein fev=rín rat daz ſwebt ob ir. do diſe ſweſter agnes an irn tot kom. do hortē zwo. ſweſter daz aller ſuzeſt ſaitenſpil daz ie gehort wart in den luften ob ir. ín dē verſchiet ſi mít eínē rihtigen ende Eín ſweſtˢ hiez Gerhus Krūpſitín vō Nv=renbˢg. vnd waz von irn jungē tagē eín ſiecher menſch vnd waz gar andehtig vn̄ het vil anvehtung do vnſer hˢre irs leidens eín ende wolt machen an eínem criſtabent da ſprach ſie vnſer hˢre iſt hie geweſen vnd hat mír gar gutlich getan vnd hat mír allez mein leiden benomē vnd hat mi̇r gelobt ich ſull (Glori)a ín excelſis heínt i̇m hímel ſíngen daz geſchach vnter der criſtmeſſe da verſchied ſie Eín laiſweſtˢ hiez Oſanna die kom zv vns ín irn alten tagen vnd waz eín gutˢ mēſch do die an irm tode lag. da vˢiach ſie dez. daz ſie die engel gehort het ſíngē eín geſank daz waz vber menſchlich ſi̇nne vnd daz vnſer hˢre vnd vnſer frawe bei ir wˢn geweſt vnd heten ſie geſichert ewigs lebens vnd ſant merti̇n wer zv ir komē ín biſchofs gezirde vnd het ir vnſers hˢren licham geben do ſtarb ſie mi̇t ei̇nē heiligen ende Diſe vorgenant ſweſter kungunt von Eyſtet die den baum ſach waz betrubet zeímal vnd ging zv vnſerm hˢren vnd clagt ím s Da antwort er ir vnde ſprach gehab dich wol ich wil dich Dinez leidens mit mir ſelbˢ ergetzzen eínez andern tags do erſchein ir vnſer fraw. vnd het ir kindelin am arm vnd ſprach zv dem kindelin liebez kint wie haiſt du do ſprach ez (Jesus) ſuzzelín do wolt ſie daz kint der mutˢ genomē habn̄. do wolt ez zv ir niht vnd ſlöz ſich der muter vmb die kelen Da ſprach ſie liebez hˢrelín waz wilt dv mir danne geben. Da ſprach ez daz du biſt ein kínt dez ewigē reichs Da ſie nv an irē tode lak da ſprach ſie we waz ſih ich ſcho=ner kindelín da die ſweſtˢ zv ir ſprachen. wa für haſt du ſie Da ſprach sie ez ſint ſel vnd wartē meín Dar nach ſah ſie ſand dominicū vnd ſand peter da erſchain ir do die heilig dríualticheit ín ir clarheit da ſprach ſie mich wil die heilig dríualticheit mít ir hin nemē. vnd ſprach daz ſalue regina vnd vnter dem wort (Jesu)m da gíng ir die ſel auz Eín ſweſtˢ hiez Elſbet von reichnek die waz eín wol gezirter menſch aller tugende vnd eín getrewe dínerín vnſers hˢrē do die an irm tod lak. e vor eínez tags e. daz ſie ſturb da wart ſie ſich als vbel gehaben daz mant wönt ſie wolt ſterben. Da hub ſie den vers an mít lauter ſtīme vnd ſank. trínítati lux ᵱhenni dar nach an der naht do vˢſchiet ſie mít eínē heiligen ende Eín laiſweſtˢ hiez Berht vnd waz von nurnbˢg Die waz gar ein gehorſamer menſch. ſie waz nímmˢ ſo ínner an ir gebet. ſie gíng do von durch die gehorſam. ſie bran reht ín irm gebet als ein vackel. daz man nímmˢ keínē tag konde gebrufen ſie waínt vnd nam nahent alle tag ein diſciplin ſwenn ſie niht ze pet lag. an daem tag als man daz ewangelie liſt daz vnſer fraw ir kínt vant. da erſchai̇n er ir als er waz vmb zwelif iar vnd trüg eín grünez ge=want an vnd het ein grunez ſchapel auf. an dem ahten tag. dar nach do er=ſchaín er i̇r als er geborn waz von der geſiht wart ſi ſo ſere entzūt daz ſie naht vnd tag ín jubiliren waz lang zeit. ſie waz brotmeiſtrín vnd ſahen die frawē daz ſie oft ſwen̄ der Couent gezzen het. daz ſie mer brotez auf hub denne ſie den frawē geben . zv eínem mal an der oſter naht do gehabt ſi ſich als vbel. daz man wont ſie wolt ſterbē do ſtund ſie auf vnd ſang criſt iſt derſtanden daz geſchach ir eínez andern mals auch da ſprach ein gotlich ſtímme zv ir ſtand auf vnd gib dem couēt brot daz tet ſie vnd ſtund auf vnde wart geſunt. vnd verſchït mit eínem heíligen ende Amen | ende. |