Texttitel (Kurzbezeichnung) | Oxforder Benediktinerregel |
Textkürzel in ReM (und in der Mittelhochdeutschen Grammatik) | OxBR |
Textkürzel im Mittelhochdeutschen Wörterbuch | BrEb |
Textsorte, spezifisch | Religion, Recht |
Textsorte | Ordensregel |
Textart (P = Prosatext, U = Urkunde, V = Verstext) | P |
Primäre Referenz (Edition, Handschrift) | Handschrift |
Sekundäre Referenz (Edition, Handschrift) | - |
Aufbewahrungsort | Oxford, Bodleian Libr. |
Signatur | MS Laud Misc. 237 |
Link zum Handschriftencensus | http://www.handschriftencensus.de/19615 |
Überlieferungstyp (Handschrift, Rolle, Inschrift) | Handschrift |
Blattangabe | Bl. 1-16 |
Ausschnitt | Bl. 1r-13v,37 |
Sprachstufe (in ReM steht “mhd”) | mhd |
sprachlicher Großraum, weit (oberdeutsch, mitteldeutsch, niederdeutsch) | mitteldeutsch |
sprachlicher Großraum, enger (z.B. ostoberdeutsch, westmitteldeutsch) | westmitteldeutsch |
Sprachlandschaft/Dialekt (z.B. nordbairisch, schwäbisch, hessisch) | nordrheinfränkisch-hessisch |
Lokalisierung/Schreibort | Kloster Eberbach? |
Zeit (Jahrhundert(hälfte)) (z.B. 12,2 = 12. Jh., 2. Hälfte) | 14,1 |
Bemerkungen zum Überlieferungsträger | - |
Zeit (genauere Datierung) | - |
Lokalisierung (Entstehungsort) des Textes | - |
Autor des Textes | - |
Sprache des Autors | nordrheinfränkisch-hessisch |
Übersetzungsvorlage | - |
Edition (Standardedition, auf die sich ggf. die primäre oder sekundäre Referenz bezieht) | Eduard Sievers (Hg.), Oxforder Benediktinerregel, Tübingen 1887; Carl Selmer (Hg.), Middle High German Translations of the Regula Sancti Benedicti. The Eight Oldest Versions. Edited with an Introduction, a Latin-Middle High German Glossary and a Facsimile Page from each Manuscript, Cambridge (Mass.) 1933, S. 10, 245-278 |
Korpuszugehörigkeit (ReM I, ReM II, MiGraKo) | MiGraKo |
Bemerkungen zur Texterfassung/Transkription | - |
Bemerkungen zur Annotation | - |
Digitalisierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | Elfriede Döring (Bonn) |
Kollationierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | Wiebke Wolf, Kathrin Chlench (Bonn) |
Präeditiert durch: Name(n) (Arbeitsstelle) | Susanne Strubel-Burgdorf (Bonn) |
Annotierung von: Name(n) (Arbeitsstelle) | Susanne Strubel-Burgdorf, Wiebke Wolf (Bonn) |
Abschlusskorrektur durch: Name(n) (Arbeitsstelle) | Marika Fußer, Barbara Lenz-Kemper (Bonn) |
Zeile | Transkription (Unicode) | Transliteration |
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VErnemet liebe ſuſtere die gebot des meiſters neiget dz ore vers hˢzen zu der manūgen des mildē vaders. vn̄ irwullit ſie dz ir zu dem weder kūment mit arbeide der gehoreſamkeide vō dem ir geſcheiden ſit. bit tragheide dˢ v̄gehorſamkeide zu vch wirt gerichet min rede ir die da uirzigen hat vres eigene willen vn̄ die=nē ſollint deme heilgē criſte. dē warē kunige vn̄ infangen hat die ſtarke wafen der gehorſamkeide. zu aller erſtē waz wir begȳnen gu=des zudune bydet in mit ſtedeme gebede. dz hat er an vch vollenbrenge der ſich gewirdeget hat zu dune in die zale ſiner duchtere dz er an keinen ziten von vren vbeln werken gevnfrauwet werde want vns iſt ime alle zyt von allen ſinē gudē alſo zu gehorſame dz er vns als ein irzurnet vader ſine dochtere in dirbe noch als eī irzurniger herre ſine boſe dirnen uns in ſende nit zu der ewe=gen pinen obe wir ime nit volgen īwollen zu der gnaden. Durch dz ſten wir ofê vant die ſchrift wecket vn̄ ſprichit iz iſt zyt dz wir off ſten vō dem ſlafe. Nu dun wir off vns augen zu dem gotlichym lichte vn̄ horē mit irvertin oren waz vns die gotliche ſtȳme ruffende manet vn̄ ſprichit Hude ob ir ſin ſtimme horent nit in beſwerēt vwer hˢze. vn̄ aber der da hat oren zu horene dˢ hore waz der geiſt der kriſtenheide ſage waz ſprich=it er. kūmet lieben kint horent mich gottes w orte ſal ich vch leren. Nu laufent die wyle ir hant dz licht diſes libes dz uch die vinſterniſſe nit ībegriffen vn̄ vnſe herre ſuchet vndir der menigen ſinē wercman deme er iz zu ſpreche wer iſt der men=ſche der dz leben wil vn̄ gerecht zu ſine die gude dage vn̄ obe du diz horeſt vn̄ anwirtheſt dz bin ich ſo ſprichit dir got zu wilt du han dz ewige leben ſo were dine zunge von vbele vn̄ dine leſ=pen dz ſie in keine loiſheit īſprechen. abe kere dich von vbele vn̄ du dz gude vordere dē frieden vn̄ folge im na vn̄ als ir diz ge=dut ſo ſint mī augen vber vch vn̄ min oren zu vremede gebede vn̄ e ir mich anrufet ſo ſal ich gereit ſin waz iſt vns ſuſzere liebe liebe ſuſtere danne die ſtīme vnſers herrē der vns zu ime ledet. Er zuget uns mit ſiner mildekeide den weg des lebenes. Durch dz vmgortē wir vnſe lenden mit deme glauben vn̄ mit der vbungen guder werke vn̄ varen ſine vart dz wir in muzzen ſien der uns ledet ī ſin riche. wollen wir wonen īdeme ge=gezelde ſines riches. wir inmogen dar nit kūmen dan mit gudē werken. Nu fragen wir vnſern hˢren mit deme ᵱphetē herre wer sal wonen in dinem gecelde ober wer ſal ruen in dime hoyn berge? Nu vernement vwir liebe ſuſtere vnſern herren antwortende vn̄ uns zeuginde den weg ſins geceldis vn̄ alſus ſprechende wer dar ingeit ane fleckke vn̄ wirket dz recht der da ſprichet die warheit in ſime herzen der keine loſheit in begeit mit ſiner zungen der kein obil nit īdut ſime ebenkriſtin der kein idewiz me īfint wieder ſinen neſten der den duuel mit aller ſiner obeler ſpanungen vˢſmet vn̄ verwirfet von der anſichte ſins hˢzē die got uortent vn̄ irhebent ſich nit. vō irn guden werkē dāne waz gudes an yn iſt dz bekennent ſie vnſeme herrē der iz an yn wirkit vn̄ lobent in mit deme ᵱphetē vn̄ ſprechēt. Nit uns hˢre nit vns wan gip dime namen lob vn̄ ere. Alſe ſcē paulus ime ſelbe nit inbekanten von ſiner ᵽdigadyn dan er ſprach von godes gna=din bin ich waz ſo ich bin. vn̄ aber ſprichit er wer ſich frauwet in gode frauwe ſich. Hin aber ſprichit vnſer herre in dem ewͣnglˢo. Der min wort horet vn̄ dut ſie der is gelich eime wiſen māne der ſin hus cimmereth off dem ſteyne. Die fluthe quamen die winde waten vn̄ ſtiſzin an dz hus vn̄ iz invilnit wā iz waz ge=ueſteget off den ſtein. diz irwullit got an vns vn̄ warthet allerdegelich wie wir ſinen heilgen manūgen antwirten mit vn=ſen werken Durch daz ſint vns die dage diſes lybes zuvriſte vˢlaſzen vn̄ dz vbele zulazzene als der ap(osto)l(u)s ſprichet Nu wiſtu nit dz godes gedult dich leicht zuberufeniſſe wan der milde herre er ſprichet Jch in wil nit den dot des ſunderes wan dz er bekeret werde vn̄ lebe. Nu wir gefraget han liebe ſuſtere vnſern herren wer da wonende ſolle in ſime gecelde nu horen wir dz gebot der wonungē. vn̄ is dz wir irwullin dz ambit des buwes ſo wˢden wir erbin des hȳelriches durch dz bereiden wir vnſer herze vn̄ ūſen lichame zu dinne den geboden der heilgen gehorſamkeide vn̄ dz vnſe nature minre gedun mag des bedet vnſen herren dz er vns ſine gnade zu helfe ſende vn̄ wollin wir flieen die pine der hellē vn̄ vollenkūmen zu deme ewigen lebene die wile wir die muſze han vn̄ in diſem libe wonen vn̄ allezyt die ſtade han zu irwullēde wie mir nu dz hie vollenbrengen dz uns ewecliche muge frumē Durch dz iſt vns geſatzit die regule des gotlichen dinſtes da uns nit ſcharpes nit ſweres an geſatzit in iſt. dan kūmet dar ein we=nig getwanges ane alſe dz recht gewiſet durch bezerunge der ſūden vn̄ durch behaldunge der mīnen des in ſollen wir nit uns ſo irueren dz wir flien den weg des heilgen des mit eime eingē anbeginne zubeginnene iſt. Mit dˢ vorderunge des lebenes mit deme off gedame herzen des geleuben mit der virzellicher ſuſzekeide der mī=nen vns iſt zugane der weg des godes gebodes dz wir von ſiner meiſterſchafte nūmer ingeſcheiden dz wir an ſiner lerungen vollenhirtī indeme cloſtere biz an den dot vn̄ alſo deilheftig ſin mit vnſer gedult ſiner geduldekeide dz wir auch ſines riches ſemēlich werden muſzen. Du ebiſſe di da wirdig iſt in deme cloſtere der meſterſchaffe ſie ſal ūmˢ gehugen wie ſie geherzen ſij vn̄ ſal irwullin den namē mit dē werkē wande ſie iſt geſatzit zu begane dz ambet des heilgen xpriſtes ſo lanc ſie geherztin iſt mit ſime namen alſo der ap(osto)l(u)s ſprichit. Jr hat infan=gē den geiſt der irwnſcunge der kinder in deme wir rufen abba vader. Durch dz in ſal ſie nit vber godes gebot leren ober ſecen. ober gebiden dan ir ge=bot vn̄ ir lerunge ſal getemperet werdē ī den gedenken der iungerſen alſe ein hebeſal des gotlichin rechtes. Si ſal ūmer gehogen dz ſie ire lerungen vn̄ der iungerſen gehorſamkeide rede geben ſal ī deme freiſlichime godes orteile vn̄ wiſze auch daz. dz iz alliz gezalt wirt an die ſcholt der hirderſen waz der hus herre mīre nvzzes vinden mag anden ſchaffen Aber alſo vil ſo ſie fliſzes gekeret zuder vngeduldigen vn̄ zu der vngehorſamer herden. vn̄ alſo ſie alle ir ſorge gewē=det zu irrē cranken werken alſo ville ſal ſie ledig ſin in deme godes vrteile. ſo ſal ſie ſprechin mit deme ᵱpheten. Din recht in vˢbarg ich nit ī mīine hertzen dine warheit vn̄ din heil ſprach ich vn̄ ſie vˢſmedin mich vn̄ dan zulezes ſal die pine des ewigē dodes gewāt ober die vngehorſam ſchaf. Durch dz wanne etliche infing dē namen der ebdiſſen mit zweiveldiger lerungin ſal ſie vorweſſin iren iungerſen alle iude dinc vn̄ heilige dinc ſal ſie zeugin me mit irrē werken dan mit dē wortē dz ſie dē vernumſtigin godes gebot mit vorten vor lege aber din hartdis herze vn̄ den einvel=digin mit den werken. vn̄ waz ſie ir iungerſen leret zu vˢmiden des in ſal ſie ſelbe nit began dz ſie an ire lerungen bereſpet nit in werde. noch dz got etwan zu ir nit ſpreche. warūme vorzaltes du min recht vn̄ nimes min vrkunde ī dinē munt? Du hetzte die zucht vn̄ wurfe mine rede hindir dich. vn̄ du da ſege in dinˢ ſuſtˢ augen die agene in dime ſeges du des balken nit Sine ſal nit heī vnderſcheit han der ſuſtere dz ſie eine me minne dan die andere iz inſi dye ſie bezer vindet ī guden werken vn̄ in gehorſamkeide Die edele ſal nit vor geſatzit werden den vn edelne iz inſi mit re=delichin ſachen. vn̄ iſt iz daz dz recht alſo gewiſet vn̄ iz dye ebdiſſen gut dunkit ſo mag ſie iz wol dun. Jſt iz aber anders ir ieclich behabe ir ſtat wande werdent ſie eigen aber vriſi. wir ſin allein in dem heilgen criſte vn̄ dragen gelichen einen dineſt vnder eime hˢren wan iz ī iſt keine vnder ſcheidunge der menſchen vor gode danin ein wis werden wir vnderſcheidē vor ime. wilche vnder wūdē wirt otmvdigere vn̄ in bezzeren werken dan ein andere. Durch dz ſal ein andere geliche minne ſin vnder vns vn̄ eine zucht eboden wˢden ieclicher na irme wirdekeide. Die ebdiſſe ſal ummer an irre lerunge die gewonheit des apoſteln halden. da er ſprichit bereſpe beide ſchilt dz iſt dz ſie vndermēgen ſal die bittere wort dē ſenften Sie ſal zeugen irn grimmen willē als du meiſterē irn ſenftin willen alſo du muder vn̄ ſal die vnzochtigē vn̄ die vngeduldigē ſcherpliche bereſpen aber die gehorſamē vn̄ die geduldigē. bidden dz ſie vorbaz varē in den dogenden. Aber die vˢſumendē vn̄ die verſmeden ſal ſie ſcheldin vn̄ keſtigē Sye in ſal auch nit intliche ſen die ſundē der miſſedungen . wā alſo ſchire ſo ſie beginnent zu waſzene ſo ſal ſie ſie vſz revfen mit der worczeln ſo ſie meiſt mag vn̄ gehyge des friſſen des priſteres von ſylo. Die gezogene vn̄ die vˢnumſtige mude. ſal ſie bereſpen mit worten eins vn̄ anderwerbe manende. Aber die harten vn̄ die ſtolzen vn̄ die vngehorſamē ſal ſie twīgen mit ſlegē vn̄ mit keſtigungē des libes andeme anbeginne der ſundē alſo do geſchreben iſt. Die dūme in wirt nit mit worten bericht vn̄ aber Slag dinen ſon bit der ruden vn̄ ſo ſalt du irloſen ſine ſele vō dē dode Dye ebdyſſe ſal v̄mer gehogen waz ſie iſt vn̄ wie ſie geherzit iſt. vn̄ ſal wiſzen deme do me beuolen wirt vō deme wirt me geiſchet Sie ſal auch dz bekēnē wie ſtarg vn̄ wie ho ein dinc ſie intfangen hat die ſelen zuberichtene vn̄ mangere ſiden zudinene Etliche ſal ſie berichtene mit ſenftbekeide etliche mit ſcheldene etliche mit ſpanene vn̄ naer iclicher gelegenheide vn̄ vˢnumſtikeide ſal ſie ſich in allen gebilden vn̄ gewugē dz ſie kein zugeniſſe der beuolenden herten īdulge von dz ſie ſich in ire merſalungen vrauwe. vor allē dingen ſo ī uˢſumet nit dz heil derſelen die irbe=uolen ſint. Alſo dz ſie mere ſorge drage zu diſchen irdiſchen dingē die zugengelich ſint. Dan ſie denke v̄mer wie ſie dieſelen infangē hat zu berichtene vor die ſie rede ſal haben vn̄ dz nit geſchuldigit inwerde vō der minren ſachen ſo gedenke waz da geſchribē iſt. Zu aller erſte ſvchet godes riche vn̄ ſin recht vn̄ alle diſſe dinc ſollē vch zu gewrffen werden vn̄ aber. Nit ingebrichit dē die got vochtēt. Sie wizze auch dz die da infingit die ſelen zu berichtene ſie bereide ſich auch vor ſie rede zu gebene vn̄ alſo groſze zale der ſuſtere ſo ſie under ir hat zu beſorgene alſo vil bekenne ſich ane zwiuel. in deme vrteilis dage gude rede zu gebene vor ir allir ſelen vn dāne vor ir ſelbis ſele. vnde habe ūmer vorte vor dz zucunftige vrteile des oberſten hirtī von dē beuolendē ſchaffē wan die wile ſie angiſt hat vor die fremde ſo ſorget ſie deſtu me vor ſich ſelben vn̄ die wile ſie nutze iſt dē andern mit irre. manugē ſo wirt ſie ſelbin gebeſzeret vō irrē ſunden. Alſo dic=ke ſo it groſzliches iſt zu dune ī deme cloſtere die ebdiſſe zu ſamē lade alle die ſamenūge vn̄ kundige irrē willen. vn̄ alſo ſie gehoret dˢ ſuſtˢe rat ſo kere irn gedāc dar zu vn̄ dz ſie dz nutzeſte dunkit dzdu. Durch dz ſollē ſie alle dar zu geladet wˢden wā dicke got iroffenet der iūgeren daz des notzes iſt. vn̄ ſollē alſus die ſuſtere recht geben mit omuttekeide noch in ſollen nit gedurren freueliche beſcirmen dz ſie gut dunkit dan iz ſal ſten inder ebdiſſen wilt core und waz ſie nutzeſte dunket des geheuet ire. wan alſo den iūgerſen geciemet zu gehorſamene der meiſterſen alſo gezimet ir gewerliche vn̄ rethe alle dinc zu beſezene. Durch dz ſollen ſie alle in allen dingē nafolgen der meiſterſcheffe der regelē noch wan ir nūmˢ geſcheidē Jr keine ſal na folgen irs eigenen herzen willen noch in ſal in gedurne freuelichen ſtreuen mit dˢ ebdiſſen ī newendich noch vſzwē=dich des cloſters vn̄ obe die diz vˢſumet di ſal uderligen des bozē alna der regelen. Aber die ebdiſſen ſie ſal iz allez dun mit godes wortē vnde mit gutē der regeln vn̄ wiſze daz ane zwyuel dz ſie vō allē ierē vrtdeilen gode deme richen dvmˢe rede geben ſal. waz aber mīre ſachen zudune iſt in deme cloſtere nutzeliche des habbe ockert der altfrauwē rath als da geſcriben iſt. Alle dinc dv mit rate dar na in beruwet iz dich nit. von den guden werken : Zu aller erſten ſal man got mȳnen mit alme hˢzen mit allˢ ſelen mit aller crefte dar na den neſten alſo ſich ſelben dar na nit irſlan nit obir horē nit ſtelē kein fals vrkunde ſprechen Ere alle menſchen vn̄ waz du wilt dz dir nit ī geſchie dz in du eime andern nit Sin ſelbes ſal man vˢleukenē vn̄ kriſte na folgen Den lychame keſtigen der geluſte nit gern Du vaſte mīnen der armen labē den nakethen cleiden den ſichē wiſen dē dodē begrabē zu alle noten helffin den ſwermutdigē truſtē vō werlichē dīgen ſich fremde machen. Godes mȳnen nit vˢſetzen. keinen zorn nit vollenbrengen dē zorn in keinē cit behalden Boſheit in deme herzen nit hā falſen friedē nit geben. Die mīne nit vˢlaſzē nit ſwerē daz man ſich nit ī vˢſwere die warheit mit hˢzē vn̄ mit mūde vorbringē vbel wedˢ obil nit geben nit vnrecht dū. widermude geduldeclichin vˢdragē dinē vinden mīnē den fluchēden nit wieder fluchen vō den wyder ſegenē vngemach liden durch dz recht. Nit ſtoltz weſen nit win gyr nit freiſlich nit ſlaferlich nit triege nit murmelerſen nit acher ſprecherſen ſine hoffunge gode beuelen. waz gudes an yme iſt dz bekenne gode nit ime ſelbin. Den dag des ortdeilis ſal man vochtē der hellen angeſt han Gern dē ewigen lib mit geiſtlicher gerungen dē dot allerdegelichen vor dē augē dragē. Die dede ſines lebenes alle zyt huden vor war wizzē dz in vnſen hˢren in allen ſteden an ſiet. Die vbele gedenke dē hˢzen zu kūmende zu hant werfen an kriſt vn̄ deme geiſtlichē al hˢren offenbarē. Sinē mūt vor boſen redē hudē vil zu ſprechene nit mīnen Jdele wort vn̄ ſpotliche nit ſprechen groſz lachene vn̄ vngemezze nit mīnen. Die heilge herzen gerne horē deme gebede emizliche āneſtan dz vor gedane vbil mit trenen vn̄ mit ſufzungen alle dage gode in ſime herzen vn̄ in ſime gebede clagen vn̄ vorbaz dz vbil bezzeren. Die gerūge des fleiſches nit uollēbrengen den eigenē willē haſzē. Der ebdiſſen gebode in allen dingē. gehorſamen. allein dv ſie anders dz got in wolde vn̄ gehuge des got=lichen gebodes die ſie uch heiſzent dū. diedut. die ſie aber dut . dine dut nit. Nit wollē heilig geheizē werden e iz ſij wā e heillig wˢden dzmā wˢliche ſpreche Godes gebot aller degelich mit dē wˢken vollinbrengē. Reī=keit minnē nyemā haſzen. zorn vn̄ nit vˢmiden. Geſtride nit mīnen. homut flieē. Die alden erē. Die iūgen minnē. ī godes liebe vordie vinde beden. mit den miſſehellēdē czufridē kūmen. e die ſunne ūder ge vō godes barmherzekeide nūmˢ miſſehoffē. Diz ſint die wafen der geiſtelichen liſte. werdent ſie vō vns unverdruſzeliche dag vnde wollet nach ir . vnd ī deme vrtdeilis dage gode wieder bekant dˢ lon ſal vns weder gegebin wˢden den got geboden hat den nie auge geſach noch ore ī horte noch herze ī gedachte den got gereicht hat. dē die ī mīnent . vō der gehorſamkeide . Der erſte grat der otmudkeide iſt die gehorſāmkeit ane wile. Do geuellet allen den die nit liebers ī hant. dan unsen herren Crist Durch den heiligen dinst den sie gelobet hant oder durch die wor=te der heilgē obe durch die gnade des ewigē libes. alſo ſchiere ſo in it ge=boden wirt vō ire meiſteren. dz ī merent ſie nit zuerwullene als iz ī von gode geboden ſij. von den ſprechet vnſe hˢre. Mit der horūgen des orē gehorſamedē ſie mir vn̄ aber ſprichet er zu dē lererē. Der uch horet der horet mich. Diſe alſus ſolich die ires eigendūmes vn̄ irs eigenē wil=len vˢcient vn̄ ledegunt ire hende vn̄ laſzent yn vollebrach darumbe dz ſie bit gereiden wuſze na uolge . der ſtimmen des gebodes mit den wer=ken dz in einer hant wilen dz gebot der meiſteren. vn̄ die werck dˢ iūger=ſen mit ſnelheide der godes wortē iruullet werdē diſſe hant flizze und minne zu varene zuͦ deme ewigen leben. Durch dz grifent ſi den en=gen weg von deme vnſe herre ſprichit Enge iſt der weg der zu dem libe leidet dz ſi na irre wiltcore nit in leuen. noch nadē gerūen irs libes nit in gen wan dz ſie under dˢ ebdiſſen ī dē cloſtere weſende irme gebode zu gehorſamene ī allen ziten gerecht ſin. Ane zwiuel welche alſus iſt di na uolgent dē wortē vnſers hˢren da er ſprichit Jch inquam nit zu dune minē willē dāne des der mich ſande. vn̄ diſ=ſe ſelbe gehorſamkeit iſt dan anfenclich vnſeme hˢrē vnd ſuſze dē luden obe dz gebot irwullit wirt ane trachkeit vn̄ ſlafheit vn̄ ane murmulūge vn̄ ane wieder ſprache wā die gehorſamkeit die man dˢ meiſtern irbudet die wirt gode gedan wā er ſprach. De uch horet der horet mich vn̄ mit gudem mude ſal ſie vō dē iungerſen erboden werde wan die frolichen geberde den mīnet got vn̄ iz dz die iūgerſen gehorſamet mit vnwillen vn̄ beide mit mūde. vn̄ mit herzen widermurmelet allein irwullit ſie dz gebot iz iſt doch gode vndenclich der dz vnwillige herze ane ſiet. vn̄ alſus ūme gedane dat ī iruolget ſie nit keinen lon. wā ſie gewīnet pine der murmelūgen abe ſie mit ruwē nit in buſzet. von der ſtille Nu dun wir dz der ᵱphˢe ſprichit Er ſprach ich ſal huden mine wege dz ich nit in ſunde mit miner zungē. Jch ſatzte mime mū=de hude ich vˢſtūmede vn̄ wart geotmutdigit vn̄ ich geſweig. vō guden dingen. hie zeugit vns der ᵱphˢa obe man vō guden redē et=wāne geſwigen ſal durch die ſtille zu haldene michel me ſal mā geceſſen von vbiln worten durch die pine der ſundē zu virmidīe Durch dz wirt dē dorechtigē iungerſen ſeldē urlaub gegeben zuſprechene auch vō guden vn̄ von heilgen reden durch die ſtille zuhaldene vā da geſcribī ſtet. Jn vil ſprechene inflies du die ſunde nit vn̄ aber. Beide dot vn̄ leben liget inden hendē der zungē. Sprechin vn̄ leren gecimet der meiſteren. ſwigē vn̄ horen geuellet der iūgerſē vn̄ durch dat waz ſo nutzlicher reden vō der meſteren iz zuuorderne dz ſal man mit otmudkeide vn̄ mit zuchtē ſuchē dzſie nit me indurſte ſprechē danne dz nuzze ſij. Gerume vn̄ muzzige worte die dē ſpot he=bēt die vˢbietē wir in allē ſtedē vn̄ zu alſo gedanen reden īſtade nit keiner ſuſter den munt off zu dune vō der otmudkeide . Liebe ſuſtere die gotliche ſchrift ruft uns vn̄ ſprichit Eein iclich der ſich irhebit der wirt gehindert vn̄ der ſich gehindert dˢ wirt gehote. So lanc ſie diz ſprichet ſo zeugit ſie uns dz allerhāde irhebūge des kv̄nis ſi der ſtultzheide vō der ſich dˢ ᵱphˢe hudē wolde vn̄ ſprach herremȳ hˢze ī wart nie irhoet noch mȳ augē ī wordē nie irhabē Noch ich in ginc nit ī vngezemē dingē noch ī wunderlichī dīgen vbir mich waz dede ich dā. Abe ich mich nit otmutdige ī vˢſan vn̄ ob ich irhup mine ſele. ſo lon minˢ ſelen. Alſe ſich dz inſpannete kint gehabet zu ſinˢ mudˢ. Durch dz liebe ſuſtere wolle wir gerichen die hoe der oberſten otmutkeide vn̄ ſnelliche vollekūmē zu der hīmelſcher irhoūgen dar man ſtigē ſal mit otmutkeide diſſes gegen wurtdigē libes ſo wirt uns vff zuſtigene mit gudē werken die leitere vff gericht die hˢren iacobe in ſchein ī dē dreuͦme da im die engele nidˢ ſtegēde vn̄ off ſtegende irzeugit wordē. An deme uff ſtigene vn̄ an dē neder ſtigine dˢ engele mogē wir ane zwiuel ſal man dz vˢſtan. dz wir mit otmutde nider ſtigē vn̄ mit otmutde off ſtigē. Die off gerichtge leitere dz iſt vnſe leben ī dirre wˢlde dz mit otmudigeme hˢzē vō gode vff gericht wirt zu hemele Die zwen leitern bevme ſint vnſe lib vn̄ v̄ſe ſele dē vnſe hˢre mangerhande . ſproſzen dˢ otmudkeide vn̄ dˢ zucht off zuſtigene ane geſatzt hat . vō den worten Diz iſt dˢ grad dˢ otmudkeide daz die ſuſter godes worte ūmer vor dē augē dragē . bit allē fliſze vˢgeſzenheit. vn̄ vmmˢ gehugit ſie alles des got gebute vn̄ dar ane denke wie dē die got vˢſmet die helle vor ire ſunde gelobet iſt vn̄ ūmer ī irme mūde dragē dā den ewigen lib dˢ den die got vochtēt gereidē iſt. Sie hude ſich allecit von ſunden dˢ gedenke der zungē dˢ augē der hende dˢ wuzze des eigenē willen vn̄ ile die gerunge des fleiſches zu vˢmidene Sie ſal merken dz ſie vō gode ūmer vn̄ allezijt beſzauwet wirt. vō dem hymele vn̄ ir dede in allen ſtedē geſien wˢdent vō der aneſichte dˢ gotheide vn̄ gode von den engelen allezijt gekūdigit wˢdēt Dz kūdigit uns dˢ ᵱphˢe wie got vnſen gedenkē ūmer gegeinwordich iſt und ſprichit. Got er irſucht die hˢze vn̄ die lendē vn̄ aber ſpric=hit er. Got bekennet die gedēke des mēſchē dz ſie ydel ſint vn̄ aber herre die bekennes mine gedēke vō verme . vn̄ dz dˢ gedank des menſchen dir begien ſal vn̄ dz die nutzze ſuſter ūmer ſorghaftig ſi. vmb idele gedenke ſo ſpreche ī irme hˢzen. Dan ſal ich ūbevolē ſin vor gode ob ich mich behuden vō mime vnrechte vnſē eigē willē wille wirt vns beweret zu dune ſo die ſcrift ſuz uns ſprichit. vō dinē willē kere dich vn̄ wir bedē uch vnſen hˢren ī unſeme gebede dz ſin wille an vns gewerde. Durch dz werdē wir geleret. vnſen willē nit zu dune dz wir des huden dz die ſrift ſprichet. Jz ſint etliche wege die die lude gerecht dunket vn̄ ir ende vˢſenke ī den grūt der hellen. Vn̄ aber ſullī uuir vorhudē dz vō den vˢſumendē geſprochin iſt. Die ſint zubrochī vn̄ verwazentlich wordē ī iren geluſten. Durch dz mogē wir wolle getruwen dz uns unſe hˢre ūmer gegeinwortig iſt. ī allē gerungē vnſes fleiſches wan der ᵱphˢe ſprichet zu ime vor dir iſt alle mȳ gerūge. Durch dz iz vns zu vˢmidene alle vbele gerunge wā der dot geſatzit iſt bi dē in=gang der geluſte. Dā abe gebudet die ſcrift Du in ſalt nit gan na diner gerunge. Durch dz wā vnſers hˢren augē beſchauwēt gude vn̄ obele vn̄ got von dē hȳmele. ſit ūmer vbir die menſchēkint dz er verneme ob iemā vˢnun̄ſtig ſi vn̄ got ſuchende vn̄ abe uns werk vnſeme ſcheppˢe. gekundit wˢdent vō dē engeln die uns geſatzit ſint zu huden dag vn̄ nacht durch dz liebe ſuſtˢe iſt uns vor zu warnene. als der ᵱphˢe ſprichit dz uns got an hei=ner zit nit in ſi abe kerende zu deme vbele vn̄ vnnutze wˢden vn̄ er vns danne ſchone in dirre zijt wan er gnedich iſt vn̄ v̄ſer beidende iz dz wir vns bekeren zu bezzerne dz er vns nit ī ſpreche ī deme zukunftigē dage diz dedes du vn̄ ich ſweig. II . Daz iz der andere grad der otmudikeide dz irn eigenē willē nit gerne minne noch nit ī gere zu irwullene ir gerūgen dāne ſie nauolge der ſtimmē vnſers herren der da ſprichet Jch in quam nit zudune minē willen dan des der mich ſantte. Der wille machet die pine die notdorftikeit gewinnet die crone. t(er)ci(us). Daz iſt der dritte rad der otmutkeide dz die ſuſter durch godes mīne. vnderdenig ſi irre meiſterſchefte mit aller gehorſamkeide vn̄ na volge dē herrē vō dem geſcrebē iſt kriſt wart gehorſame ſime vadere biz an dē dot. Quartus. Daz iſt dˢ uirde grad der otmutkeide dz ſie ī der ſelbē gehorſamkeide bit ſtillicher ſamwitzkeide. gedult hāt ī gangen allen wederwurdigē dīgē. vn̄ wedˢ alleme v̄rechte dz ir gedan wirt noch dz ſie ander gedul=dikeide nit ī ſlafe. noch wan ir nit ī ſcheide die ſcrift alſo ſprichit Der da hyrtet biz an dz ende der ſal geneſen vn̄ aber Geſterket wˢde din hˢze unde dulde vnſen herrē. vn̄ abir zeugit die ſcrift dz der ſelige menſche ſulle vˢdulden alle wederwurdekeit durch vnſē hˢren. vn̄ ſprichit vor die geduldigen. Durch dich wˢdē wir irſlagē degeliches. wir ſin geachtet alſo die ſchafe die zu ſlane gereit ſint vn̄ die ſeligen die ſicher ſint von der hoffūgē des wirdigen lones. sie frauwen ſich vn̄ ſprechent Jn allē diſſen dīgen vbirwīden wir durch dē dˢ vns mīnede. vn̄ in einer andern ſtat ſprichit die ſcrift. hˢre duhaſt vns beſucht. du haſt vns gelutert ī deme fvre als dz ſilber gelutert wirt. Du haſt vns geleidet indē ſtrig du haſt geſatzit die quale off vnſen rucke. vn̄ dz ſie gezeuge uns v̄der dˢ meiſtern zu weſene ſo ſprichit ſie aber. Du haſt die menſchen geſatzit ubir unſe heubit Durch dz du da iruullī wilt godes gebot ūrech vn̄ weder gemude duldene. wirt ſie geſlagen an einen backen. ſie budet auch dē andern wˢ ir nemet dē rok ſie budet im auch dē mantel wirt ſie betwūgen eine Mile ſie geit andere zwo. vn̄ bit deme apoſtolo paulo duldent ſie falſche ſuſtere vn̄ deme fluchendē in wieder fluchent ſie nit. dˢ funfte. Daz iſt der funfte ᷚrad der otmuͭkeide . dz ſie alle vbele gedenke irme herzene zu kūmēde vn̄ alle virholne miſſedat. bit otmudger bigithe ir ebdiſſen nit in vˢhele als vns die ſcrift troſtit vn̄ ſprichit Jroffene gode dinen weg vn̄ hoffe an in. vn̄ aber. Beiget gode wan er iſt gut wan ſine erbarmherzekeit wert an dz ende vn̄ aber ſprichet dˢ ᵱphˢe Dine ſunde det ich dir kundig vn̄ min v̄rech in verbarg ich nit Jch ſprach ich ſal gode begene mī vnrecht wider mir. vn̄ du uirlizes mir die boſheit mines herzen. VI Diz iſt der ſeſte grad dˢ otmutkeide dz die ſuſter ſich zele vndure vn̄ vˢſme vn̄ ir dz genuge. vn̄ dz ſie ſich in allen den dingen die irgeboden wˢdent zu eime vndereme wergwibe zele un̄ ſpreche mit deme ᵱphˢen. Zuͦ nichte bin ich wordē vn̄ ich in wiſtiz nicht. Als ein ve bin ich herre worden uor dir vn̄ ich bin iedoch ūmer mit dir. VII Diz iſt der ſebende grad der otmutkeide dz ſie ſich nit alleine bit der zungen dan auch mit alme hˢzen bekenne v̄dure vn̄ nidere vor dē andern. vn̄ otmutdige ſich vn̄ ſpreche mit deme ᵱphˢen Jch bin ein worm vn̄ nit ein menſche. edwiz der lude vn̄ verwurfniſſe des volkes Jch waz irhaben vn̄ bin genedert vn̄ geſchant. vn̄ aber herre iz iſt mir gut dz du mich genidert haſt dz ich lerne dine gebot . VIII Daz iſt dˢ achte grad dˢ otmudkeide dz die ſuſter nit ī du dz dz die gemine regele des cloſters vn̄ die vorbilde der oberſten manet zu dune. VIIII Daz iſt der nunde grad der otmudkeide dz ſie ire zunge bewere zu ſprechene vn̄ die ſtille halde vn̄ nit in ſpreche dāne gefraget wan die ſcrift ſprichet. Jn manigfeldigem ſprechē. in fluet man der ſundē nit. vn̄ der cleffeſche man wirt nit berichtet off dˢ erdē. X. Daz iſt dˢ zehende grad dˢ otmutkeide dz ſie nit lichte in ſi noch gereit zu lachene wan da geſcriben ſtet. Der dū=me irhebet mit lachene ſine ſtīme. XI. Daz iſt der eilfte ᷚrad der ot=mudkeide dz die ſuſter ſo ſie ſprechē ſal mit otmutkeide vn̄ mit erſte ſēf=teclichen vn̄ ane ſpot redeliche wort vn̄ anemaniche ſpreͨhē vn̄ nit mit rufelicher ſtȳmen. wā alſus geſcriebē iſt. Der wiſe wirt bekant mit ūmanechen wortē. XII. Daz iſt der zwolfte grad dˢ otmutkeide dz ſie nit alleine bit deme hˢzen dā auch mit geberden des libes die otmudkeide den andren zevge dz iz in werke ī gebede indē munſtere ī garten ī wege in velde aber wo ſie ſij ſitzenne gande ſtande ſi ſal ūmer bit geneugetī heubte vn̄ die augen zuder erden gekeret vn̄ ſich ſchuldig bekēnē alle zijt von iren ſundē ſie ſal ſich gein wordig wizzen dē vochlicheme godes ortdeile vn̄ ſal ſprechen ī irme hˢzen dz der publicanus mit gene=dirtinaugen zu dˢ erden. Jn dē ew(a)ng(e)l(i)o ſprach. hˢre ich ſundich menſche ī bȳ nit wert mȳ augē off zu hebene zu hȳmele. vn̄ ſprach aber mit deme ᵱphˢen Jch bin gecrumet vn̄ genedert allēt halbē. wāne die ſuſtˢ alle diſſe grede dˢ otmutkeit off geſtiget dā vollēkūmet ſie zu dˢ mȳnē vnſes herrē zuder durnechtiger mīnen die d die worte uz vˢdribet Byt der ſelbī minnē beginnet ſie zu hudene ane alle arbeit mit gewōheide alle die gebot die ſie ie hilt nit ane vocht wā ſie gewīnet von dˢ gewonedē gude gerungē dˢ dogende nit von vochte der hellē dā vō vocht vn̄ von minnē vnſes hˢren die er an ſinē wercwibe die er gereinigit hat von ſunden mit deme heiligeme geiſte iroffenē ſal. Der ᵱphˢe ſprichit. Sebinwerbe ī deme dage lobete ich dich herre. Dˢ heilge ſeben faldige rume ſal vō uns irwullet werdē dz wir die ambt vnſes dinſtes irvollen zu der metten vn̄ zu der pˢmē tˢcien ſextē nonē ueſperen vn̄ cōpleten van vō diſſen geziden ſprichit der ᵱphˢe Seben werbe indem dage lobede ich dich hˢre vn̄ von der metten ſprichit derſelbe ᵱphˢe Jch ſtund off zu der mitternach zulobene dich herre. Darūme in diſſen zidē ſullē wir loben vnſen ſcheppere vbir die vrtdeile ſiner rechtekeide . vō gots dineſte Vvir gelauben dz godes gegenwortkeit allenthalben vn̄ ſin augen in allē ſteden aneſin gude vn̄ vbele iedoch anezwiuel allermeiſt ſo wir zu godes dinſte ſten. Durch dz ſollen wir ūmer ge=hugen des dz der ᵱphˢe ſprichit. Dienet gode mit vochtē vn̄ aber Singet wiſlich vn̄ in der aneſichte dˢ engele loben ich dich herre. Durch daz merkē wir welich wir weſen ſullē ī der aneſichte der gotheide ūder en=gele vn̄ ſtē wir alſo zu ſingene dz unſe gedank ſammēhelle vnſer ſtimme . vō gebede So lanc ſo wir mit geweldigē luden in keyne ſache werben danne nit irbalden wir dan mit otmudkeide vn̄ mit zuchen michel me ſollē wir gode fleē mit otmutkeide vn̄ mit reinekeide. vn̄ wizzen dz dz er uns gehoret nit inwil ſprechene wā mit reinekeide des hˢzen vn̄ ī ruen dˢ trene Durch dz ſal unſe gebet cuſz vn̄ reine ſin yz ī werde dā erlenget vō dēme geiſte der gotlicher gnaden. Jedoch ī deme conuente ſal iz gecurziget wˢdē vn̄ ſollē alle uff ſtan egelich zu deme zeichene der pˢolſen. vō den dechenen . Jſt die ſamenunge it groſz ſo kiſe man vnder in ſuſtere godes urkūdes vndes gudes lebenes vn̄ die werden geſatzit zu dechene die v̄mer ſorge haben in allen iren ambeten al na godes gebodes vn̄ der ebiſſen Die ſal man alſolich kieſen dz die ebdiſſe ire burden ſicherlich under ſie deilen Noch die in ſullē nit ge corn wˢden na irme ordine danne na wirdekeide irs lebenes vn̄ na wiſheide irre lerungē. vn̄ iz dz ir keine mit ſtolzheide ſich irhebet die ſal man bereſpē zwirnt vn̄ dritwerbe vn̄ inwilt ſie ſich nit beſzeren man inſezze ſie vn̄ ſetze eī andere in ire ſtat die des wirdic ſij vn̄ alſo du man auch vō der probſten. vō ſlafene . Sunderliche ſollē ſie off irrē betten ſlafen vn̄ irē bettegewant ſollē ſie haben alſe die ebdiſſen geſetzet nader maſzen irs lebenes Sie ſollē alle ineiner ſtat ſlafen ob iz weſen mach Jſt aber die menige groz ſo ſlafen zegene oder zwenczig bit etlichen alt frauwē die obir ſie ſorge haben Jn deme ſlaf huſe ſal eine kyrce burnen biz an den morgē Gecleidet ſollen ſie ſlafen vn̄ gegortet bit gorteln. vn̄ kein meſzer ī ſollen ſie bij yn han dz ſie ſlaffene gewūdet nit ī werdē vn̄ dz ſie ūmˢ gereit ſin ane merrunge zudeme zeuchene off zu ſtane vn̄ ir ielich ile vor dieandere zu godes werke mit ernſte vn̄ mit gudekeide. Die iunge ſuſtere inhaben kein bette bijein andere danne vnder menget mit den altfrauwen vn̄ alſe off ſtent zu godes werke ein ieclich mane die andere vn̄ wecke ſie vō dem ſlaffe. von dem vreden . Obe keine ſuſtere wˢde ober vngehorſam ober ſtoltz oder murmellene oder in keinen dingē weder wurdich weſende regele die heilge ūde die geboth der altfrauwē vˢſmet. die ſal gemanet wˢden al na godes gebothe eines vn̄ aber geſwegliche vō den altfrauwē Jn wilt du iz nit beſzeren ſo ſal iz berufen werden offenbare vor in allē. vn̄ abe ſie ſich noch dan nit in bezzereth vn̄ obe ſie doch wolle vˢſteiͭ waz buſzen dar na folget ſo ſal man ſie ſcheidē vō der gemeinſchafte. wil ſie aber vollen hyrten ſo ſal man ſie keſtigen an deme lybe. vō dˢ lichtē ſchult . Na der maſzen der ſchulde ſal die maſze gedanē werden der uſzſcheidunge vn̄ der keſtiūgen. vn̄ die mazze der ſchul=de ſal ſtan in ortdeile der aptiſſen vn̄ iz dz etliche funden wirt in lichterē ſchulden die werde geſunderet vō der ſamēdeilungē des di%ſches vn̄ der ſal dz geſatz werden dz ſie in deme core noch ſalm noch antiphene an in hebe noch letze inleſe biz ſie iz gebuzzet Noch irre libnarunge in ſal ſie nit nemē wan alſe die andere ſuſtere geſzē hant. Ezzent ſie zu ſexten ſo neme iz zu none. Ezzent ſie zu nonē ſo neme iz zu veſperē alſo lange biz ſie mit der buzzen gnaden iruolgit . vō der grozzē ſchult Die ſuſter die mit meren ſchuldin behabet wirt die ſal man ſcheiden beide von deme diſche vn̄ vō dē core. kei=ne ſuſtere in ſal ir zugenuget werden noch in geſelſchafte noch in ſprechene. Sie ſal alleine ſin zu deme werke dz ir geſaczit vn̄ ſal vollēhyrten ī der weinūgen des beruniſſes vn̄ uochtē die freiſliche rede des apoſteln der da gebudet dz man ſoliche gebe deme duuele zu quelene dz fleiſz dz der geiſt behalden werde an deme dage vnſers herren. Die labunge der ſpiſē ſal ſie alleine nemē na dˢ maſzen vn̄ in der ſtunden als ire die ebdiſſen geſezzet von keinˢ ſal ſie geſenit werden die vor ſie geit noch die ſpiſe die mā ire gebet . vō dē die ſich zu wugēt dē vzgeſcheidenen . Virſumet keine ſuſtere ſich ane gebot dˢ ebdiſſen. ſich zu yre zugefugene mit ſprechene oder mit keinē dȳgē zu geſelli%ſcheffe die ſal geliche wize liden. Wie die ebdiſſen ſorgſemig ſolle ſin vm die miſſedūdē . Mit allē flize ſal die ebdiſſen ſorge haben umbe die miſſedūde ſuſtere wānedes arzides in iſt keine notdurft dē geſunden wā den ſichen. Durch dz ſal ſie dun alſe der wiſe arzath und ſal ir zu ſenden wiſe alde frauwē die ſie geſwegliche troſten ī irre myſſedede vn̄ irmane ſie zu bekentniſſe der otmudkeide vn̄ getroſtē ſie alſo dz ſie mit miſſetroſte uirloren nit ī werde danne als der ap(osto)l(u)s ſprichit dz die mīne in ir geueſtenet wˢde vn̄ dz gebethet werde vor ſie von in allen. Die ebdiſſe muſz des groſze ſorge habē vn̄ ſal dz mit groſzeme ſinne vn̄ mit wiſheide bewaren dz ſie dˢ beuollender ſchafe keine in uirlieſe vn̄ bekenne dz dz ſie ſorge intfangē hat der ſicher ſelen und ubir die geſunden keine grimheit vn̄ vochte auch die drauūge des ᵱphetē durch den vnſe herre ſprichit. Daz ir veizet ſaget dz namet ir dzda crank was dz vˢworfit ir. vn̄ nauolge deme guden bilde des milden hirten der da liez nun vn̄ nunzig ſchaf inden bergē vn̄ ging ſuchen ein alſo ſchaf dz da vˢlorn waz. Des irbarmete er ſich alſo dz er iz off ſine heilgeaſſele lachte vn̄ weder zudē herten bracht vō dē die dikke bereſpēt wˢdēt . Obe irneein ſuſter dicke bereſpit wirt ūme ire ſchulde oder geſcheiden von der gemeinden vn̄ ſich nit beſzeren inwil ſo muſz man ſie ſcherpelichen bereſpen dz ſalſȳ mit ſlegen der beſſemen vn̄ obe ſie ſich noch dan nit in bezzeret un̄ ſich ī ſtoltzheide irhebet vn̄ ir vnrech beſchirmen wilt ſo du die ebdiſſe als ein wiſe arcetiſze. Obe ſie ſie gebeit hat mit manūgē. vn̄ geſalbet mit gudeme troſte vn̄ gearzediet mit dˢ heilgē ſcrifte vn̄ zu lezzes gebrant mit dˢ uzſcheiungen. vn̄ mit den ſlegen der beſemē vn̄ ſie dā ſeit dz al ir fliz nit ī hilfit ſo du dan dz aller oberſte dar zu dz iz ir ſelbes gebet vn̄ alle ir ſuſtere vor ſie durch dz dz vnſe hˢre dˢ alle kint macht ſine gnade ander ſicher ſuſter wyrke. vn̄ iſt iz dz ſie noch alſus gedane wis nit ge=heilit in wirt. ſo ſal die ebdiſſen an ir nuzzen dz wafen dˢ abeſnidūge alſe der ap(osto)l(u)s ſprichit Nemet vō vch dz vbele vn̄ aber Obe die obele vn̄ die vngelubige abeſchidet ſcheide abe dz ein ſich ſchafe alle die herte nit inbewelle . vō dē die da in weg laufe Obe ir keine ſuſter durch ir ſchult vz geit obe vˢſtoſzen wirt vō dem cloſtere vn̄ iz dz ſie wedˢ kerē wil ſie gelobe aller erſt alle bezzerunge uor die meſſedat dar v̄me ſie vz ge=varn waz vn̄ alſus werde ſie weder intfangē ī deme niderſteme gᵃde dz ir otmutkeit da mede geprufet wˢde. vn̄ kūmet iz alſo dz ſie aber zugeit mā ſal driwerbe weder intfain. vn̄ ſider wiſze dz. dz ir alle ir weder kerunge uirſaget wirt. vō den kinden . Aller hande alder vn̄ aller hande uˢnunft ſollē ir rechte maſze habē. Durch dz alſo dikke ſo die iūge ſuſtere. ober die nit in wiſzē wie grozze die wize ſij der uzſcheiūgen von der gemeīden alſo diſe geſundēt ſo ſal man ſie buzzen anͭwir mit grozzer uaſtē oder mit ſcharpen beſemen ſlegen dz ſie gebezzereth werden. vō der kelnerſen . Du kelnerſen des cloſteres ſal gecorn wˢden vō dˢ ſamenūgē. wiſe vn̄ gudˢ ſidde reine vn̄ cuſche nit homuydig nit betrubelich nit wedˢ mudich nit trege nit ſuinde danne got vochtende die aller dˢ ſamenūgē ſij als ein muder. Die ſal beſorgen alle dink ane geboth dˢ ebdiſſen in ſal ſie nit dun dz ir geboden wirt dz behude. Sie in ſal die ſuſtˢ nit irzurnen. Obe etliche ſuſter vō ir vnredeliche it geſchge ſie īſal ſie nit ſmeliche bedruben wan die redeliche mit otmutkeide vˢſagen Jr ſelen ſal ſie huden vn̄ v̄mer ſal ſie gehugen dz dˢ ap(osto)l(u)s ſprichet. wer da wole gedinet dˢ gewynnet eine eine gude ſtat. Der ſichere der kinde dˢ geſte vn̄ dˢ armen ſal ſie mit allemflize plegē vn̄ dz ane zwiuel. wizzen dz ſie vor diz allez rede geben ſal ī dē dage des ortdeiles Alle die uaz vn̄ die habent des cloſteres ſal ſie geheiliget wizzen alſe die uas des altares. Sie ī ſal iz nit wenen zu uˢſumene noch ſie in ſal nit fliſzic ſin. zu girheide noch die habent des cloſteres nit vˢdun dan alle ding. ſal ſie na mazzē hādelen al na gebode dˢ ebdiſſen vor alle dink ſal ſie otmutkeit han. hat ſie auch nit dˢ hebede zu gebene gebe gut antworte als da geſcribet ſtet. Gude iſt bezzer dā keine gabe waz ir die ebdiſſen beuelet dz habeūder irre ſorgē vn̄ waz ir uˢbodē wirt des vnderwinde ſich nit. Sie ſal den ſuſterē irgeſatzte ᵱbēde ane weder=ſprache bereidē dz ſie nit betrubet ī wˢden vn̄ ſal gehugē vnſers hˢren wor=tes waz der vˢdienet dˢda betrubet einin der wenigere. Jz dz die ſamenū=ge merre wirt ſo ſal mā ir helfe geben dz ſie mit ſenfteme mude ir ammet irvollene mogē. Zu welichen ziden ſal man geben waz da zugebene iſt vn̄ bidden waz da zu beddene iſt dz nimā bedrubet ī wˢde ī dē godes huſe . vō dˢ hebēde Dye habet des cloſters beide angezogen vn̄ anne gewande vn̄ ane aller hanne dingē beuele die ebdiſſen ſuſteren vō dere gudeme lebene vn̄ gudē ſedē vn̄ ſicher ſij. vn̄ gebeiz in. als iz nuzze ſij zu behudene. vn̄ weder zuſamene. Hynabe ſal die ebdiſſē einē brif han v̄me dz obe obe eine ſuſtere abe ge. vn̄ eī andere zu kūme dz ſie wizze waz ſie gebe intfae. vn̄ iz dz ir keine vnſchone. vn̄ vˢſume=liche des godes huſes gut handelet mā ſal ſie bereſpē. vn̄ beſzeret ſie ſin nit ſo muſz ſie gezuchtiget wˢden al na der regulen. vō der eigēſcheffe . Allermeiſt iz die ſūde bytalle zu uirmidene vn̄ uz vō dē cloſtere zu uirdribene dz keine ſuſter it neme odˢ gebe ane gebot dˢ ebdiſſen obe it eigendūmis habe in keiner hande dink noch buch noch tafole noch griffel noch byt alle nicht den ioch iſt in irre gewelde zuhabene Alle irre notdurfte ſollē ſie warten von irre muder. Nit in ſollen ſie han wā dz in die ebdiſſen gebet oder gehenget. Allez ſal iz in gemeine ſin. noch ir keine ī ſal nit eigenliches han vn̄ wirt ir keine bit dirre ſunden begriffen vn̄ ſwerēt dar v̄me iemant in wil ſie iz nit bezzerē ſo ſal man ſie dar v̄me zuchtegen. dz mā ielichim ſȳ notdurft ſal gebē . Iz iſt geſcriben von den apoſteln. Mā deilite in ſunderlichē alſo ir ieclicheme noth waz Na diſſen dīgē in ſal man nit mirkē dˢ herheit noch dˢ niderkeit vō ir ielicher crankkeit. Die iz da mīre bedarf ſie lo=be got vn̄ in v̄frauwe ſich nit die iz aber me bedarf die otmutkeide ſich vō irre crankheide vn̄ inthebe ſich nit vō dˢ gnadē vn̄ alſus ſollē alle in friedē weſen vn̄ in diſen dīgen in ſal keine murmelūge v̄me kenerſlaſte . wedˢ in wortē odˢ in geberdē an yner ſchinē vn̄ wirt ir keine da mide begriffen die ſal mā dar v̄me zuchtigen. Diz iz vō dinene . Die ſuſtern ſollē in vndirein dienē. noch irkeine in ſal ſich in ſchuldigen von deme dineſte dˢ kuchenen ſine ſie ſich in etlichen notdurftē bekumbert. wāne da mede gewȳnēt ſie groſzen lon vn̄ mȳne Den crankē ſuſteren ſal mā helf gebē dz ſiz ane vnfreude gedun mogē vn̄ ir ielich hafe helfe na der mazen dˢ ſamenūgen Jſt die ſamenūge groſz die kelnerſen ſi ledig vō dˢ kuchenen vn̄ die an merreme notze bekūberet ſint. Die andere dinē ūder ein mit mȳnē. wilche ir die woche vollēbrenget des ſam%ſdages ſal ſiz allez rein machē die twelē da ſie ſich an druckēt ſal ſie weſzē. Beide die da uſzgeit ī de die da ī geit ſie ſollē allē dē ſuſteren ir wuſze twan. Alle die uaz die zudeme dieneſte gehorent die ſal ſie alle gantz vn̄ reine der kelnerſen off antwurtē vn̄ ſie ſal ſie beuelen dˢ die da ī geit dz ſie wiſze waz ſie gebe vn̄ waz ſie intfae. Die wochenerſen ſollen nemē e ezzenes zijt ane ir ᵱbende brot vn̄ drinken dz ſij dē ſuſterē gedienē moge zu reuenere ane murmelūgē vn̄ ane arbeit. Aber ī den hochgeziden ſollen ſie duldē biz zu diſche. Die wochenerſen beide die da ingeit vn̄ die da vz geit ſie ſollē des ſūnedages na mettenē ī dē core dur nider vallen vn̄ ſollē beden vor ſie beden . vn̄ die da uzgēt vō der wachen die ſollen diſen vers ſprechē. Benedictus es d(omi)ne d(eu)s qui adiuuiſti me et cōſolatus es me. Als diz driuerbe geſprochin iſt vn̄ ſie die ſegenūge intfent ſo kume die in gan de vn̄ ſpreche diſē vers. D(eu)s inadiutoriū meū ītēde. vn̄ alſe diz driſtunt geſproch=in iſt. ſo intfae die ſegenūge vn̄ ge in. Diz iſt vō dē ſiche Der ſichen ſuſter ſal man vor allen dingen wol plegen vn̄ ſal in dinen gelich alſe dem heilgē xpriſte wan er zu letzen ſprechē ſal Jch waz ſiech vn̄ ir wiſet mich vn̄ waz ir dadet einre dˢ minſtē dz dadet ir mir vn̄ ſelbe die ſichen ſollē myrkē dz man in dienet durch godes ere. vn̄ in ſollē die ſuſtere die ī dinēt nit beſweren mit keiner vberenzikeide vn̄ ioch wes ſie mudent dz ſal man ge=dultecliche vˢdragen. wāne hie midde gewīnet mā grozzen lon. Durch dz ſal diz die ebdiſſen beſorgen Dz ſie keinē brechen in dulden. Den ſelben ſichen ſuſteren. ſezzen eine die got uochte vn̄ mȳne Doch ſal man in redē alſo dikke ſo ſiz bedorfen vn̄ den geſunden. vn̄ aller meiſt den iūgen uilſeldē . Den ſichen vn̄ den cranken ſal mā fleis irleuben durch dz dz ſie ſich irkoberē Alſe ſie aber geſunt wˢdēt ſo inthalden ſie ſich aber von fleiſche na irre gewōheide Jn allē diſen dīgen ſal die ebdiſſen ſorge han dz die ſichen noch vō der kelnerſen noch vō den dinſt frauwē nit vˢſumet ī werdē. wāne waz da miſſedā wirt dz geit allez wider zu ir wert. Dye uil alde frauwen vn̄ die iunge kint ſal man halden na gnaden. Man ſal mirkē an yn ir crankheit vn̄ in ſal nit der getwanc der regelen uor legen an irre ſpiſen danne mā ſal in irleubē zu inbizzene vor rechter zijt. Diz iſt die letze vō ezzene . Alſe die frauwē zu diſſe ſitzint vn̄ ezzent ſo in ſal da nimet lazzen geberechē vn̄ ī ſal irkeine leſen wā die des ſūnedages ī geit alle die woche zu leſene. Die ſelbe ſal na meſſen bidden allegemeīlich vorſie beden dz got von ire kere allēhoīmūt vn̄ ſollen dā alleſamēt ī deme core diſſen uers driberbe ſprechē. vn̄ des ſal ſie begīnen. D(omi)ne labia mea aperies: (et) os meū. vn̄ alſe ſie die ſegenūge intfeit ſo ge in zu leſene. Dan ſal da grozze ſtille ſin zu diſche dz kein rununge noch keine ſtīme danne ockert die letze gehort werde. vn̄ wes mā da bedarf zu ezzene vn̄ zu drinkene dz ſal in alſo vor gedinet werden dz irkeine nit heiſchen in durfe. wirt da aber keines dīges nach dz ſal mā heiſchē mit ieclicheme zeichene nit mit worten. Noch irkeine ſal da nit fragen gedurrē. vō dˢ letzen noch nirgen abe . iz inſi dz die pˢelſen it ſprechen wolle curtzliche die āder zubezzerne. Abe die wochenerſē die ſal nemē ein mixtū eſie leſen beginne dz ſie dz lange nit ī beſwere. vn̄ ge dan ezzē mit dē da gedinet hant. Die ſuſtere in ſollē auch nit nairme ordene leſē dā ockert die die andˢe gebezerē mogen. vō dˢ mazzē des ezzenes . Wir getruwē des dz ingenuge zu irre degelicher ſpiſen zu alle irrē ezzenē beide dˢ ſextē vn̄ zu nonē zweierleie geſoſen gerichte abe ir keine des einē nit in mag. dz ſie ſich mit dem andern labe vn̄ hant ſie obez oder ſmalſede man gebe in dz dritte auch dar zu Eein gewicht brodes genuget in wedereiſz ſij ein ezzen oder zwei. vn̄ iſt dz ſie merē ſollen dz dritte deil des brodes ſal in die kelnerſē halden biz zu Merungē. Jſt iz aber dz die arbeit merre wirt dzſie in dˢ ebdiſſen wilcore in zu merēde ob iz nutze iſt ane alle oberēzekeit dz ſie nit beſweret inwˢdē wā iz in iſt dē xpriſtē mēſchē nit ſowedˢe als oberaze als vnſe herre. ſelbe ſprach. Syet dz vwir herze nit in beſweret īwˢde mit oberaze aber den iūgen vn̄ dē kinden ſal mā mīre maze geben dan den groſzen vn̄ in allē dingen ſperliche han. vō allē flizze ſollen ſie ſich inthalden ane die cranken vn̄ die ſichen. vō dˢ mazzē des drākes . Ein ieclich hat ireigene gabe vō gode. eine ſus die andˢ ſo. Durch dz ſetzen wir alleine ire lib narūge mit alſolicher mazen. iedoch wāne wir anſehē die crankheit dˢ ſichē ſo getruwen wir des dz ir ielicher eȳ coppelen winis genugē moge uber dag. Dē aber got gybet dz ſie ſich enthalden mogen die wizzen dz ſie groſzē lon dar v̄me han ſollē. Jſt iz aber dz ſie durch noth der ſtede odˢ durch arbeit oder durch ſumerhitze me bedurfen dz ſte in der pˢelſen wilcorde abe ſiz inid meren wil. vn̄ des hude in allen dingē dz da nit abe in kūme fraſzheit oder vˢdrūkenheit alleī leſemā dz die munche keinī wȳ nutzen in ſollen wā iz in diſſē ziden nit lichte in iſt zu radene ſo ſullin wir doch da myde ī ein dragen dz wir in ſperlichen drīkē nit zu ſade. wā der wȳ machet dumb die wiſen Da aber die noth dˢ ſtede ſo geſchaffet iſt dz mā die uor geſprochene maſze nit han in mag. wā michel mȳre oder mit alle nit ſie loben got die da wonent vn̄ lazzen ſich des irmanē dz ſie ane murmelūge ſin. Wie man ſich halden ſolle mit ezzene vnd mit vaſtine . Vō oſtern mit pingeſtē ſollē die ſuſtere zu ſextē in bizzen. vn̄ die des abedes merē vō pȳgeſtē aber vorbaz alle den ſumer obe ſie nit arbeide ander erdē nit ī hant. vn̄ obe ſie die ſumerhitze nit in mut ſo ualſtē biz nonē die mittewoche vn̄ dē fritdag die ander dage ī bizzē zu bizzē zu nonē Jſt iz aber dz ſie arbeidē andˢ erdē odˢ daz die hitze groz iſt ſohaldē dzumbez zuͦ ſextē alle dage vn̄ ſal die ebdiſſen bewaren. vn̄ ſal iz alſo getemperen. vn̄ geſetzē beide dz die ſelen behaldē wˢden vn̄ waz die ſuſtˢen dune . dz ſie iz ane murmelūge dun. von id(us) gerſtemandes biz mā ſes wochē zu oſtern hat. ſollē ſi ſūmer zu nonē in bizzen vn̄ vor baz biz zu oſtern zu ueſpˢen. Jedoch ſollē ſie die ueſpere alſo begā dz ſie nit lichtes in durfen zuezzene. wā dz ſie iz mit dēlichte des dages vollēbringē. vn̄ des ſollin ſie allezijt wartē wedˢ iz ſij ūmez oder merrunge dz iz ūmer mit dem dage geēdet wˢde. Dz na cōpletē nimā ſprechen ī ſolle . Allezijt ſollē die ſuſtere irſtille haldē. vn̄ iedoch aller meiſt in dˢ nach ſtunden. Durch dz zu allē zijden wedˢ izſi waſtē odˢ inbizē alſo ſchire ſo ſie vō der merrungē off ſtent ſo gene ſitzē alſament ī ein vn̄ ir ein leſe collacōes antweder uitas patrū oder anders etwaz des ſie gebeſzeret wˢden. Nit in leſe man da uon deme aldē urkunde noch der kuninge bucht wāne iz iſt den cranken ſinnē ūnutze danne zu leſene vn̄ mā leſe dz zu anderē ſtundē. Sin iz aber ueſteldage alſo die ueſᵽ geſungen iſt zu richte na eime curzzē underlaſze ſo kūmen zu collacōes vn̄ die wile man leſet uir bledere oder nune oder alſo vil ſo die zijt gehenget ſo ilē die ſuſtˢe alzuſamene die bit etlicheme ambede becumberet ſint. vn̄ alſe ſie zuſamene kūmēt vn̄ cōplete geſungen hant ſider ī haben keinī orlaup it zu ſprechene weliche ire ſider ire ſtille brichet wirt ſiz wūden freueliche ſie muz ir buzze drūme liden iz in geſchie dāne durch not der geſte oder duͦrch gebot dˢ ebdiſſen dz ſal iedoch mit engeſten vn̄ mit groſzer maſzen geſchin. wie mā ſich haldē ſolle zu vnſers herren dineſte . Alſe die ſtunde kūmet des godes dineſtes vn̄ mā dz cheichē gehort ſolaſzen die ſuſtere allez dz ſie underhandē hant und laufen dar mit grozzer ilungē. Jedoch mit ſolicher zuͦcht dz keine rede ūder in ī werde Noch keine werk ī ſollē ſie godes werke uor han. vn̄ iz dz ir keine kūmet na dem gl(ori)a p(at)ri. Dz man ſinget zu dē ſalme uenite dē mā doch ziende vn̄ lancſame ſal ſingen die in ſte nit ī dem ordene zu core dāne zu aller nederſt der anderē oder wo ir die ebdiſſen geſetzet dz ſie vō dē anderē allē beſien wˢde biz dz godes dinſt geēdet wirt vn̄ ſie ſich des offenbare beruwe. Durch dz ſal ſie zu nedereſt dē andern ober da abeſtan darūme dz ſich die andere alle durch ſchemede dˢ ſelben vˢſumigheide huden. wā blibēt ſie uzwendig des cores ſo mochte lichte etliche ſich neder legen vn̄ ſlafen oder zu boſen gedenken sich muſzigen dz der duvel da ſtade vindē . durch dz ſal ſie dar ingan dz ſie die zijt mit alle nit in uˢlieſe vn̄ ſich vorwert hude Aber zu den degelichen gezidē die zu godes dineſte na zu dē uˢſe nit in kūmet des ſelben ſollen ſie ple=gen noch in ſal ſich nit gedurren geuugen zu dē andern biz ſis ſich be=ruwet iz in ſi mit der ebdiſſen orlaube vn̄ mit irme gehengniſſe vn̄ doch alſo dz ſie iz gebuzze welche ir aber edeme uˢſe dē ſie alle zuſamene ſprechen ſollen zu deme diſche nit in kūmet vn̄ durch ir vˢſumkeit dar nit in ilet die ſal man eines vn̄ andermale durch die ſunde bereſpen vn̄ in wil ſiz nit bezzeren ſo in ſal man ir nit gehengen der gemein=ſchaffe des diſches dā man ſal ſie ſunderē vō der gemeīdē dˢ ſuſteren da ſie ir libnarunge alleine nemē vn̄ irs wines ſal man ir. ir deil abe zien biz ſie cōmet zu ruē vn̄ zu buzē. Geliche buſze ſal ſie duldē die zu deme uˢſe gegenwrdig nit iſt dē mā na ezzene ſprichit. Noch ir keine gedurre ūmer eder geſatzter zijt obe dar na it ezzenes oder drā=kes nemē . wie mā ſich halde ſolle ī der grozze ſchulde . Wylche ſuſter durch groſze schult vō deme core vn̄ vō dem diſche vzgeſcheiden wirt die wille man godesdineſt dut. ſo ſal ſie ligen nidergeſtreket vor der dur des cores ſtilſwigene vn̄ nit ſprechene die heubet nider off die erde gelacht vor alle die uzzer dem chore gent. Daz ſal ſie alſo lange dun biz die ebdiſſen dar kumt. vn̄ ſie ſtrecket ſich danne vor irre wuzze vn̄ dar na vor alle die ſuſtere dz ſie vor ſie beden. vn̄ abe iz die ebdiſſen gebudet ſo intfaēt ſi ſi ī den core in die ſtat dar der ebdiſſen geuellet. Dan iedoch alſo dz ſie noch ſalm noch letze noch nit anders ī gedurre anheben die ebdiſſen ſie ī gebediz aber. Zu allen den geziden alſo godes dineſt geendet wirt ſo ſal ſie ſich legen off die erde in der ſtat da ſie ſteit vn̄ du dz alſo lāge biz ir die ebdiſſen gebide dz ſie uon der buzzen ruwe. Die aber vm licht ſchult uz geſcheiden werdent ockert vō dem diſche die ſollē iz buzzē in deme chore alſo lange ſodie ebdiſſe gebudet vn̄ ſie dunkit dz iz gnug ſij . vō den die da fallēnt in dem core . Welche anehebet ſalm oder reſpons obe antiphene obe letze vn̄ da ane bedrogenwirt ſi inotmudige ſich zu hant mit buzzen uor dē anderē allen ſie ſal merre pine liden wāne ſie mit otmutkeide dz nit ī wolde buzzē dz ſie mit uer=ſumekeide miſſedde . Aber die iūgen ſal man ūme ſuſgedane ſchult keſtigē . vō dē die an kleinī dingī miſſedunt . Wylche ſuſter arbeidet in der kuchenē ober in me kelre ober in me dineſte ober in me garten ober ī mekei=neme ambete ober inkeiner ſtat vn̄ it damiſſedut obe zu brichit obe uˢluſet in kūmet ſie nit zu hant uor die ebdiſſe vn̄ uor die ſamenūge vn̄ buzzet iz irs dankes vn̄ uirmelde ir myſſedat vn̄ wirt iz vō einer anderen gecundiget ſo ſal ſie merre buzze lidē. Js iſt aber uˢholne ſunde ſo ſal ſie offenbarē dˢ ebdiſſen odˢ der geiſtelich=en ſuſterē die irs ſelbis wūdē vn̄ fremedē geheilē kūnent. wie man ſalkundigen dz gezijt . Die ſtunde des godes dineſtes beide dag vn̄ nacht ſal die ebdiſſen cundigē odˢ beuele die ſorge einer ſuſter dz iz allez ci=teliche iruullit werde. Salme vn̄ antiphonē ane hebēt ī irme core in na der ebdiſſenē dē iz geboden wirt. Jr keine in gedurre ſingen noch leſen dāne die dz ambet iruullē mag. dz iz gebezzˢet werdē die iz da horent. vn̄ dz ſal mit otmutkeide vn̄ mit uochtē gewˢden vn̄ dō iz die ebdiſſen gebudet. vō der muſkeide . Alle muzzekeit iſt vint dˢ ſelē. Durch dz ſollē die ſuſtere zugewiſzē ziden ūmuſzig ſin in arbeide dˢ hende vn̄ aber zugewiſ=ſē cidē in der heilgen letzen. V̄me dz ſint beide diſſe zijt alſo ge=ſazit dz ſie uō oſterē biz zu den kalenden octobris des morgeᷤ vſzgan uō primen cit biz ā die uirde zijt vn̄ arbeidē des ſi be=durfen zu irre notdurfte aber vō der uirdē zijt biz zu ſextē die heilge ſcrift leſen. vn̄ na ſextē alſe uō deme diſche off ſtent ſo gen rugē off irre bette uil ſtilliche. vn̄ iz dz ir keine leſē wil die wile ſie leſen. alſo dz irkeine beſwert in wˢde. None ſollent ſie citheliche ſingē als die echte ſtunde halbe iſt vn̄ aber wirken dz in zu dune iſt biz zu veſᵱen. kūmet iz aber ſo dz ſie die not der ſtede odˢ dz armude twȳget dz ſie vnmuſzig muzzē weſē andeme corne zuſamene ſo ī vnfrauwē ſich nit wā die ſo ſint ſie werliche nūnē obe ſie lebēt vō der arbeide ire hēde als die heilge vedˢe vn̄ die aplˢn dadē. vn̄ allez iedoch mit mazzē durch die crankmudigē. diuiſio. Dar na von den calenden octobris biz dz die uirczig dage dˢ uaſtē ane gent ſollen ſie in dē letzē weſen biz zu der andern ſtundē des dages vn̄ dā ſingē ir tercie vn̄ uor baz biz nonē arbeidē alle ī irme wˢke dzingeſazt wirt vn̄ alſo ſie gehoren dz erſte zeichē dˢ nonē ſo ſundeˢn ſich vō dem werke dz ſie gereit ſin als mā dz andere zeichē ludet. Diz iſt vō dˢ vaſtē. Ober īden dagē dˢ uaſten vō des morges biz zu tˢcien ſollē ſie ī irrē letzen ſin vn̄ fort biz zuder czendē ſtundē wirken dz in geſatzit wirt. Jn den ſelben uirzigdagē ſo nemen alle ſunderliche buch vō dˢ buchkamern vn̄ leſen ſie gencliche na dē ordine. Die ſal man in geben alſe die dage an gent vor allē dingē ſal man ſizzē eȳ ſuſter odˢ zwo die dz cloſter ūme gen zu dē ziden ſo die ſuſtere leſen ſollēt vn̄ ſin dz kein da uūden ī werde muzzig odˢ mit ydelre redē die ir ſelber v̄nutze ſin vn̄ auch dē anderē. vn̄ ob diz etwāne geſchiet vō ſūmilichere ſo ſal man ſie bereſpen eins vn̄ aber ībezzeret ſiz aber dan nit. ſo ſal ſie buzzē liden na der regelē. vn̄ als ſolichte dz ſichdie anderē alfuchtē. Noch keine ſuſter in geunge ſich zu der andern an nutzeclicher ſtunden Des ſūnedages ſollen ſie allemuſzig ſin zu dē letzē ane die mit ambetē begriffen ſint. Jſt aber ir keine alſo trege dz ſie in wolle odˢ in moge denken noch leſen dˢ ſal man it wˢkes beuelen dz ſie nit mu%ſzig īſin Den ſuſteren die ſich ſint odˢ vˢwenet dē ſal mā ſo mezlich werg ſetzen dz ſi mit alle nit muzzig inſin noch auch vō dˢ arbeide nit beſwˢet inwˢdē Alſoliche crankeit ſal die ebdiſſen myrkē. diz iſt auch vō dˢ vaſtē . Allein ſullin die ſuſtˢe allezijt die vaſte haldē wā vn manger diſſe dogēt iſt. durch dz iſt dz gut vn radē wir iz dz in diſſen uirzig dagen iren lib hudē mit aller reinikeide vn̄ alle die vˢſumūge andere zide ī diſſen heilgen dagē uirdilgen vn̄ dz ge=ſcheit wirdecliche obe wir vns twȳgin von allen ſundē vn̄ an ſtē dē gebede vn̄dem ruwē des hˢzen. mit weinūge vn̄ inthaben von dˢ lip narungen. Durch dz ſollē wir in diſſen dagen zu vnſeme ge=vollicheme dineſte etwaz irmeren an ſunderlichē gebede an mez=lichkeide der ſpiſen dz ein ieclich ſuſter ubir die mazze die ir geſatzit iſt. etwaz vnſeme hˢrē opfere von irme eigenen willē mit freuden des heilgen geiſtes ſie ſal irme lichame abe ziegē vō ezzene vn̄ vō drinkein uō ſlafene vō ſprechene dz ſie mit freudē der geiſtelichē gerunge irbeide der heilgen oſtern Jedoch waz irkeine gode oppern wil dz ſal ſie dun mit rade vn̄ mit gebede vn̄ mit willen dˢ ebdiſſen wan dz da geſchiet ane willen dˢ geiſtelichē muͦder dz wirt gezalt zu ideler eren nit zu lone. Die ſuſtˢe die uz arbeidint Die ſuſter die verre vō dē cloſtere ſint in arbeide vn̄ in mogē nit zu rechter cit czu core kūmet vn̄ die ebdiſſē wole bekennet dz iz alſo iſt ſie ſollē godes dinſte dun alda ſie wirkint vn̄ ir venie ſuchent mit godes vochten Jecliche die off dē wege ſint ſie in ſollen nit uˢſumē die geſazt zijt dāne ſi ſollen iruullī godes dineſt dar na dz ſie mogen. vō dē die da uz varēt . Die ſuſtere die ūme icliche rede uz varent vn̄ des ſelbē dages hoffent weder zu kūmen zu dem cloſtere Die in ſollē uzze nit ezzē allein werdēnt ſiz gebedē iz in ſi mit gebode der ebdiſſen vn̄ dūt ſiz anders ſo muzzē ſie uz geſcheidē wˢden. von dem bedhuſe . Daz bedehus daz ſal mit rechte dz ſin dz iz geheizzē iſt. Noch nit īſal man da inne dū dandz zu godes dinſte gehoret. vn̄ als dz iruullic iſt ſo ſollē ſie alle mit groſzer ſtille uzgan vn̄ got da midde erē v̄me dz obekein ſuſter ſunderliche beden wil dz ſie vō der anderē nit gehinderet inwˢde vn̄ iz dz ein andere geſweglicher bedē wil die ge dar ho=lenbeciche vn̄ bede nit mit luder ſtȳmē weine mit trenē vn̄ mit ruwē des hˢzen. Durch dz wilge ire des geliches nit ī dut Dˢ in ſal man nit gehengen ī dē bedhus zu blibene dz kein andere vō ir gehȳderet nit in werde. diſe letze iſt von den geſten . Alle die geſte die da kūment die ſal man intfaē alſe dē heilgē kriſt wāne er amne leſtē dage ſprechē ſal. Jch waz gaſt vn̄ irintfinget mich. Dē ſal mā allē geliche ere biedē vn aller meiſt dē die huſgenoſzē ſīt. leubē vn̄ den elendē. Alſo ſchiere ſo ein gaſt da gekundigit wirt ſo ſal die priolē in gein gā oder iecliche ſuſtere mit otmutkeide vn̄ mit mīnen. vn̄ zu aller erſt ſollē ſie alſamēt beden. vn̄ alſo diz ge=endet iſt ſo geuogen ſich zu ſamene mit dē kuſſe des fridē durch die becarunge des duuels zu uirmidene Jn der ſelbē grozze ſal man ein groz otmutkeit irheben. Jn allē den zukūmēden. vn̄ in weguarēdē geſten ſal man mit geneigedē heubit oder mit nider geſtregteme licham dē heilgē criſt ane beden die mā auch an in intfeit. vn̄ alſo die ītfaen wˢdent. ſo ſal mā sie leidē zu irme gebede vn̄ dar na ſal die pˢolen ſizzin mit yn oder ein andere dˢ ſiz gebudet vn̄ leſe ein heilge letze dˢ ſie gebezzeret wˢdē vn̄ dar na ſal man in irbiedē alldz menſlich gemach. Jr uaſte ſal die pˢolē brechē durch die geſte iz ī ſin dā rechte uaſte dage die mā gebrechē ī moge. Aber die andere ſuſtere haldē ire uaſte na irre gewonheide. Die ebdiſſen ſelbe ſal dē geſtē wazzer gebē vn̄ beide die ebdiſſen vn̄ alle die ſamenūge ſollen ein ir uuzze twan. Dar na ſprechen diſſen uers. Suſcepimus d(eu)s mīam. Der armē vn̄ der elenden ſal man allermeiſt ſorge han zufaene wā an in intfeit mā den heilgen gaſt criſt. Den richen wirt erē gnug irbodē durc͛h ir herſchaft die kuchgene dˢ ebdiſſen vn̄ dz gaſt hus ſollē ſūder weſen dz die ſuſterī nit beſweret ī wˢdē vō dē geſtē die dicke v̄=ziteliche kūmet zu der kuchenē ſal man zwo ſuſtere zu eime Jare ſezzen die des dineſtes plegen. Den ſal man bereiden wes ſie bedurfen dz ſie ane murmelunge dienē. vn̄ wylche zijt ſie da minre ambetes hant ſo gen uz al dar man in gebudet zu wˢke vn̄ nit alleine diſe wene auch alledie die mit ambete beuangē ſint. haldē diz gebot. Daz gaſt hus ſal man beuelē einer ſuſtˢ die die got uochtē . vn̄ irre ſele ſorge habē . vn̄ da ſal ſin betgewant uollecliche. vn̄ alſus ſaldz godes hus vō dē wiſen ludē wiſliche bereidit ſin. allē dē die iz bedurfen. keine ſuſter in ſal ſich zu dē geſten geuugē noch bit in reden der iz nit geboden inwirt wā begīnit ſie in ober geſit ſie ſie. ſie gruzze ſie otmutliche vn̄ ge=ſegene ſie vn̄ ſcheide vō in. vō nemene vn̄ vō gebene . Keine ſuſter in muz vō keineme irme mage noch vō keime menſchen nit intfaī noch vō in ſelbe under ein noch brife noch ſcrift noch keine gabe. nemē oder geben ane gebot der ebdiſſen vn̄ wirt it geſant uō irrē frunden dz in ſal ſie nit intfaen gedurren iz inſi der ebdiſſen aller erſt gekundigit. vn̄ alliz intfaē wirt ſo ſteit iz an der ebdiſſen gewelde zu gebene wē ſie wolle. vn̄ der iz geſant was ſie in unfrauwe ſich iz nit dz der duuel kein urſache da in vinde. Die aber anders dut die muz der regel buzze liden. Dyſe letze ist vō dē cleidere . Den ſuſtern ſal man gewant gebē na dˢ geleginheide des lā=des vn̄ der lude die da wonent wan in den calden ſtedē bedur=fet ſiz me in dē warmen minre. Daz ſal in der ebdiſſen un=derſcheidinheide ſtan. Jedoch getruwē wirdes dz dē ſuſterē in meſlichen ſtedē gnugē ſollen einir ieclicher ſunderliche eine cogele vn̄ eynē rog die cogele des winters ru des ſumereᷤ ſlecht vn̄ auch einen ſcheplere durch dz werk vn̄ ſocke vn̄ hoſen von der varben vn̄ der grupheide in ſollen die ſuſtere nit clagen wā alſolich ſo man iz uindet in deme lande da ſie wonent vn̄ man iz aller lichſte uergeldē mag. dz ſollē ſie dra=gen. v̄me die mazze dz ſye noch zu curtz noch zu lang inſin des ſal die ebdiſſen war nemē. wan ſie dz nuwe entfaent ſo ſollē ſie dz alde wider antwirtin indie gewant camere durch die arm̄ Einer ieclicher ſuſter genuge mit zweī rokkē vn̄ zwo kogelē zu habene durch die nacht vn̄ durch dz weſene vn̄ iz da it ubere dz iſt ubeenzig dz ſal man abe nemē. Die mā aber uzſendet den ſal man cogelen vn̄ rokke vn̄ eines deiles bezzere geben dā irgewonheide ſij. vzwarende vō der gewant cameren nemen vn̄ weder kūmende aber weder antworten. Jr betgewant ſal ſin eī bambeſt vn̄ ein matte ein lilachen vn̄ ein heubit pulbe vn̄ die ſelbē bette ſollēt vō dˢ ebdiſſen dikke irſuch wˢden dz nit ſunderliches in ſij vn̄ wirt des da it wūden dz die ebdiſſen nit gegeben in hat die ſal grozzer buzzē undˢ ligē. vn̄ dz diz vbel bitalle vō in genomē ī wˢde durch dz ſollē in uō der ebdiſſen alle notdurfdeclie ſachen gegebē wˢden dz iſt cogele rok ſokke gurtel mezzer griffel nalde dz allerſlaſte urſach abe genomē werden. Die ebdiſſē ſal auch dz mirken dz vō dē aplˢn geſcriben iſt ein wort ſunderliche gedeilit alſus irieclichim waz noth Alſus ſal die ebdiſſen mirken die crankheit der bedurftigī nit dē boſen willē der nidegē. Jn allē diſſen dingē ſal ſie godes wider lon vor den bygen han. vō der ebdiſſen diſche . Der diſch der ebdiſſen ſal ūmer mit elendē vn̄ mit geſtē beſazt ſȳ vn̄ kūmet yz ſo dz nit geſte da in ſint ſo lade irre ſuſtere dar wil=che ſie willet. vn̄ iedoch beſorget dz dē ſuſterē zu lazene dˢ altfrawē eine oder zwo durch die zucht zu hudene. vō dē die da ſunderlich werk dunt . Sint ein werkwib ī deme cloſtere die wirkē ir werk mit aller ot=mudkeide obe iz die ebdiſſen gehēget. vn̄ iz daz irkeine ſich irhebet vō irre liſte durch dz dz ſie des dunket dz ſie deme cloſtere ſere frome die ſie alſus ſolich ſalman abe dune vō dem werke. dz ſiz nit mein beginne izinſij ſich otmutkeit vn̄ iz ir die ebdiſſen aber gebede wirt da it werkes zu uerkaufene mā ſie dye iz vzer iren hendē geben ſal dz ſie nit obeles damide in dū noth des geldes nit abe in zieē vn̄ gedenkē der zweire ananie und ſaphire dz ſie dot ander ſelē nit in lidē den ſie andeme libe nit intfinyn. Des ſal mā auch hudē dz andē vˢkaufene die gyrheit keine ſtat in habe dā mā ſal iz ludē gebē die iz anderen luden gebȳ in dē wortē dz got in allē dȳgen gelobet wˢde. von den die von verrem dar kūmēt vn̄ da blibent vollent . Kūmet etliche ſuſter die gerūge hat zu gotlicheme lebeme mā ſal nit lichtliche irleubē in zuvarē wan als der aplˢs ſprichit manſal beſuchen obe der geiſt vō gode ſij vn̄ obe ſie wolle harte clopene funf dage vn̄ vngemach duldet vn̄ vollēblibē wil anirrem beddē ſo ſal man in irleuben zu weſene in deme gaſt huſe ūmanche dage. Darna ſal mā ſie dū ī der hus die vnlanges dar kūmen ſint dz ſie da wˢonē. vn̄ ezzen vn̄ ſlafen. Da ſal man ir eine alde frauwe vorſezzen die wogliche ſi ſelē zu gewynnene die ſorgſamig ober ſie ſij vn̄ auch iruare abe ſie werliche got ſuche vn̄ abe ſie ſorge habe zu godes werke. vn̄ zu gehorſamkeide vn̄ zu alleme vngemache. Man ſal ir uor ſagē alle harte ding vn̄ ſcharpe da midde man zu gode wert get. vn̄ abe ſie globet ſtedekeit zu vollenhirtene na dˢ zijt zwier mande ſo ſal man ir diſe regele leſen von anebegīne biz an dz ende. vn̄ ſal dan ſprechē zuir Svſter ſich dis iſt der orden vn̄der dē duͦ gode dinē wiltmachᷤ die ȳ behaldē ſo kū zu vns in machᷤ die aber des nit ſo uar frilichī hȳnē Obe ſie dan uollēsteit ſo leide ſie mā ſie wyder indz gadem dˢ nuwē ſuſtere vn̄ beſuche ſie aber uon irre geduldekeide. Syder na ſehes mandē ſal man ir aber vorleſen diſe regele dzſie wizze v̄me waz ſie dar kūmē ſij. vn̄ aber ſie noch dāne uollēſteit na vir mandē ſal man ire diſe regele aber vorleſen. vn̄ aber ſie dan mit irre frier wilcore gelobet allez dz zu hudene dz irgebodē wirt ſo ſal man ſie intfaen indie ſamenunge. vn̄ ſiewizze dā wol dz ſie alſo geſatzit iſt vnder die regele dz it von dem dage uorwert ūmuzlich iſt uz zu varene vō dem cloſtere vn̄ iren nach zuſcudene uō dē ioche der regelem . Noch dan ſal ſie kūmē in dz gots hus vn̄ ſal glo=bene uor yn allen ſtedekeit irs lebenes vn̄ gehorſamkeit vor gode vn̄ ſinen heilgen obe sie anders it dut. dz ſie ſich wizze zu ver=dumene von guͦdes halben den ſie beſpottet hat. Die bede alles des gelobedes ſal ſie mit urcunde dū des heilgē mit namē die da reſten vn̄ der gegenwurdigē ebdiſſen. Die ſebe bedde ſal ſie ſcribē mit irre hant vn̄ ob ſiz nit in can bide ein andere dz ſiz vor ſie du vn̄ neme dan den brif vn̄ lege in mit irre hant off den eltere vn̄ begynne zu ſprechene diſſen uers. Suſcipe me d(omi)ne ſecundum. Den vers ſal die ſamenunge driwˢbe antwortī vn̄ zu dem dritten mal gl(ori)a p(at)ri. Dan ſal ſich die ſuſter vor irre aller wuzze ſunderlich dar neder ſtregken. vn̄ beden dz ſie bedē vor ſie vn̄ ſider ſal ſie ge=zalt wˢden indie ſamenūge. hat ſie auch ithabende die ſal ſie ent=weder den armen da uorgegeben hā abe gebe ſie dan zu dem cloſtˢe ſo dz ſiz ir ſelbere nit inbehalde wan ſie vor ware dz wizzē ſal dz ſie irs eigenen willen noch irs libes keine gewalt in hat. Dan ſal ſie uz dunzu hant ir eigen gewant vn̄ ſal an dū des cloſteres gewant. vn̄ die dz gewant dz ſie uz dut daz ſal man gehalden legē in die gewant camere ob iz ſo kūmet dz got in wolle durch des duuels rat dz ſie rumen vn̄ varen wolle vō dē cloſtere dz mā ir dz geiſteliche gewant uz zie vn̄ ir ſelbes kledere wieder gebe vn̄ alſus vˢſtozze. Aber den brif irre bedē inſal nit wiedˢ nem̄ wā er ſal al da be=halden wˢden. vō dē edeln ludeN . Kūmet iz alſo dz etliche edel lude ir duchtˢ opperen wollēt gode zu dem cloſtere vn̄ ſie doch dāne kint iſt irre frūt dun die bede mit dem brife als hij uor geſprochin iſt vn̄ be=vuindē dāne der mede hant mit der beden indem elter duche vn̄ alſus opperē ſie. Aber von irme gude ſo geloben in der gegē=wortigen beden mit eide dz ir noch vō in ſelben noch mit keime anderen noch keinewis nūmer nit in gegebe dā abe ſie urſache mogē nemen it zu habene ob in wil ſie des nit vn̄ it opfern wollent in almoſenē zu dē cloſtere ſo dun ir gift vō deme gude dz ſie dar geben wollent vn̄ haldē in ſelben den nutz ob ſe wollēt vn̄ handelen diz allez alſo dz syder kein urſache der mede in bli=be dan abe ſie betrogen werde vn̄ uerderben moge wan diz han wir dikke wol beuondē. Zu gelicher wiſe ſollen die dū die da arm ſint. Die aber mit alle nit in hant die opfern einfeldeclich ire bedde. vn̄ oppernt ir doctere vor urkunde. vō dē elēden luden . Kūmet etliche elende ſuſter vō verreme lande vn̄ in gaſtes wiſe da wonen wil ī deme cloſtere vn̄ ir genuget die gewon=heit die ſie da vindent noch mit keiner oberēzekeit ī bedrubt die ſuſtere wā ein einveldecliche nemen wil dz ſie da uindet mā ſal ſie intfain alſo lange ſo ſie wil. vn̄ obe ſie dede redelich vn̄ mit otmudclich dˢ mȳnen it bereſpet obe zeugit dz ſal die die ebdiſſen wiſliche handeln wan ſie got lichte umbe dz dar geſant han . wylle ſie aber dar na irſtedekeit beueſtē mā ī ſal irrē erſtē willē nit vˢſagen. Dar ūme allermeiſt wā mā in der czit do ſie gaſt waz ir leben wol vnderuarn mocht Firt ſie aber in dˢ zijt gemirket ī idelicheme lebene ſo ī ſal man ſie nit intfan dan mā ſal ir gutelichē ſagē dz ſie dānē ſcheyde. Dz kein andere vō irre crankheide bewollē in wˢde vn̄ iz dz ſie ſolicht iſt. Dz ſie v̄wert ſij zu vˢdribene ſo ſal mā ſie in die ſamenūge intfant obe ſiz gebiede vn̄ auch radē dz ſie uolleſte dar v̄me dz ir die andere gebezzeret wˢden. wan in allen ſteden iſt vnſeme hˢrē zu dienene. Geſit ſie auch die ebdiſſen ſolich weſen dz ſie des wert ſij ſie muz ſie wol yn hoer ſtat ſetzen. Des ſal auch die ebdiſſē ir gewarheit han dz ſie keine ſuſter die von keime kvndigeme cloſtere dar kūmet nit intfait ane ir ebdiſſen gehencniſſe vn̄ ane ir briue wā dz geſcribē iſt. Dz du dir nit in wilt geſcin dz in du eim an=derē nit wie ſie irren ordē haldē ſollen . Iren ordē ſollē ſie indem cloſtere alſo haldē alſo die zijt gewiſet irre bekerūgē vn̄ die wirdekeit irres lebenes vn̄ als die ebdiſſen geſezzet Noch ſie in ſal nūmer betᵛ=ben noch keine die ir beuolē iſt noch keine friliche gewalt ubē it unrechte ſezzende wene ſie ſal ūmer vordēken. dz ſie aller irre vrtdeile gode rede geben ſal. Durch dz al na dē ordenē die ſie geſezzet obe die die ſuſtere ſelbe hant ſo kūmē ūmer zu der pecen zu vnſers herne lichame ſalme an zu hebene ī dem core zu ſtane noch in keinē ſteden in wˢdē keȳ alder under=ſcheidē indem ordene wan ſamuel vn̄ daniel die kint ſie uˢdei=liden die priſtere. Durch dz allein dē vz beſchidē die die ebdiſſē mit rade ober die andere geſatzit hat obe die ſie neder geſatzit hat durch ſumeliche ſchult die andere ſollē alle ſin alſe ſie zu cloſtere kūmen ſint alſus gedane wis die in der anderē ſtūdē des dages zu cloſtere kūmē iſt die ſal ſich iungere bekēnē der die zu erſter ſtūden quā welges alderes oder welges wirdikeide ſie ſij. Die kint ſal man in allen dingē zuchtelichē hal=den. Die iungē ſollē ir oberſtē eren die oberſten ſollē ir iūgern mynnē. keyne ſuſter in muz die andˢe mit nam̄ gruzzē wā die oberſtē ſollē ir iūgerē heiſzē ſuſtˢ. vn̄ die iūgen ſollē ir o=berſten heizzen nūnen dz iſt muterliche zucht. Aber die ebdiſ=ſen wan ſie kriſtꝰ ambet begeit in dē cloſtˢe ſie ſal geheizzen wˢde frauwe vn̄ ebdiſſen durch ere vn̄ durch mȳne des heilgē criſtes. Sie ſal auch denken vn̄ ſal ſichalſo arbidē dz ſie wert ſij der eren. wie ſo yn die ſuſtere vnderzuſchen begeinent. die iū=gere ſal die ſegenūge heyſchē vō der oberſten. Alſe die alde kūmet die iūge ſal off ſtan vn̄ ſal ir ſtat gen zu ſitzene. Noch die iūgere in ſal bij der alden nit ſitzen ſie ī gebidiz ir alſo die ſcrift ſprichit Mit erē underzuſen uor gande. Die cleine kint vn̄ iūge ſuſtere zu core vn̄ zu diſche ſollē ſie mit zuchtē volgine irme ordine. Da uſze vn̄ allēthalbene ſollē ſie hude han vn̄ zucht bit ſie zu uer=numſteclichȳ aldˢe vollenkūmēt. wie man die ebdiſſē welē ſal . IN der wyūgen der ebdiſſen ſal man ūmer die vnderzweiūge mirken. dz die geſazt werde die alle die ſamenūge na godes voch=tē irkuſet obe auch dz mȳre deil der ſamenūgē mit gancem rade irkuſet. Myt wyrdigeme lebene vn̄ vō lerungē der wyſheide. ſal ſie irkorn wˢdē die mā wyē ſal. allein iſt ſie die nederſte ī dē ordine dˢ ſamenūgē. kūmet iz auch ſo dz got uˢbiede dz alle die ſamenūge eine ᵱſone mit gemeinȳ rade irkuſet die irrē ſūden gehengit iſt vn̄ auch Jren ſundē dem byſſchoue dē die ſtat anhoret abe eppeten obe ebdiſſen ob andˢen kriſtene kūdic wordē ſint ſo ſal man we=rē dz gehengniſſe dˢ boſen corungē vn̄ ſal dē godes hus geſezzen eȳ wirdige meiſtern vn̄ wizzen dz vor war dz ſie gudē lon intfaȳ ſollē ob ſiz mit godes vochtē dunt und alſo groſze ſunde hāt ſo ſiz uˢ=ſumene. Alſo die ebdiſſen gewiet wirdet ſo gedenke ſie ūmer wel=che burden ſie intfangē habe. vn̄ weme ſie rede geben ſullen irs am=betes vn̄ wizze dz. daz ir recht iſt zu fromde me dan zu uˢweſene Sie ſal ſin geleret des godes ordene dz ſie wizze wā abe ſie vorbrīge nuwevn̄ alt. Sie ſal auch reine ſin. vn̄ cuſche barmherzig und sal ummer die gnade setzen Aber dz recht dz ſie dz ſelbe iruolgē . Die hazzē ſal die ſundē. vn̄ mȳ=nen die ſuſtere Jn dē bereſpūgē ſal ſie wyſlich dun dz iz nit vil īſij wā wil ſie dē roſt zu ſere abe fegen dz waz mach lichtebrechen vn̄ ſal ūmer die brodikeit mirken. vn̄ ſal ūmer gehogen dz mā dē zu quetzſedē halm nit zu ribē in ſal Jn allē diſſen dingē in ſpreche wirt nit dz ſie gehengē ſollē dē ſundē wāne wiſliche vn̄ in dˢ mī=nē ſal ſie ſie abe nemē alſe ſie ſit dz iz nutze iſt. vn̄ flizze ſich dz ſie me geminnet wˢde dan gevort. Sie in ſal nit arcwenig ſin. wā ſo in geruwet ſie nūmer. Jn allē irrē gebodē ſal ſie uorſichtig ſin. vn̄ geware wer der iz na gode ſij ober nader werlde. Die werc die ſie beuelit zu dune da ane ſie halden die underſcheidunge hˢrē iacobs der alſus ſprach. Ob ich dū arbeiden mine herden an gande me dan ſie liden mogen ſie ſterbēt alle einis dages. Durch dz ſal ſie alle diſſe vr=cunde der vnderſcheidungē die muder iſt aller dogende intfaen vn̄ ſal iz allez alſo getemperē dz die ſtarken uīdē des ſie ierēt vn̄ die crā=ken nit ī flin vn̄ in allē dingē behude diſſe regule alſo wylche zijt ſie wole gedinit hant dz ſie vō vnſeme hˢrē horē muzzē dz dˢ gude knecht horte der ſines herren weizze zitelichen uz deilit. wor ware. ich ſagen vch dz er in uber allez ſin gut ſezzen ſal. diz iſt vō dē ᵱbeſtē . Iz geſchit dikke dz vō der wiūgē der probſtē grozze betrubūge waſſent in den cloſtern wan iecliche werdē ſo iruullit mit dē vbelē geiſt dˢ ſtolzheide dz ſie ſich dunkent ander ebdiſſē weſende vn̄ wollent dāne irn grīmē mut vben dan abe zweiunge vn̄ miſſehellūge weſet ī dem cloſtere vn̄ allermeiſt ī dē ſtedē da die probeſtē gewiet iſt vō dē ſelbē die die ebdiſſen wient. vn̄ wie freiſlich dz ſie dz mag manliche gemirken. wā vō dē anbeginne dˢ wyūgē hat ſie urſache zu ſtolzene vn̄ ir gedenke ſie dar zu haldent dz ſie fri wenet weſē na der gewelde der ebdiſſen wā ſie vō eime hˢrē beide gewient ſint. Hin abe wachſēt manch vbel mit v̄gunſt boſe rede achterſprechē zweiūge miſſehellūge. vn̄ die wile. die ebdiſſen vn̄ die probeſten vnder ein miſſehelent ſo ſint ir beider ſelē in grozzen freiſſen vn̄ die ſuſtˢe die ūder ſint vn̄ ir antwederre mede ſmeichēt ſiegēt in daz uˢlorniſſe Dz vbel diſſes freiſſes geit geit wedˢ off der heubit die alſus ſolich zu meiſterſcheffe geſazt hant. Durch dz dunket vns notdurfig weſen durch hude des fridē vn̄ der mīnē. dz die ordenūge des cloſters ſte ī der ebdiſſen willē vn̄ obe iz weſen mag aller dˢ nuͦtze des cloſters deſte wˢde beſazt vn̄ geordenet vn̄ dechenē als iz der ebdiſſen geuellet v̄be dz iz die wile iz manchē beuolen iſt dz eī nit ī ſtolze. vn̄ iz dz die ſtat des bedarf obe ſie ſamenūge des gebidet redeliche vn̄ mit otmudkeide vn̄ iz die ebdiſſē nutze dunket wylge ſie irkuſit mit rade der ſuſtere die got vochtēt die ſezze ſie ſelbe zu probſtē Jdoch die ſelbe probſtē waz ir die ebdiſſe gebudet vn̄ beuilet dz lege zuchtliche vn̄ in du nit weder irē willē wādie alſo uile ſo ſie irhaben iſt vor dē anderē alſo uil bedarf ſie ſich ſorglichˢ zu gehudē die gebot der regelen. Die ſelbe probſten wirt ſie wūden ſchuldig an idelkeide ob an homude ob dz ſie die regele uˢſmet man ſal manen mit worten uirwerbe Jn bezzeret ſie nit mā ſal ſie bereſpen al na der regelen Jn wil ſie noch dan nit buzzen man ſal ſie intſezzē vō irre probſtyin vn̄ ein andˢe die iz wirdit iſt an irre ſtat ſezzen vn̄ inwil ſie ī dˢ ſamenūge gemeglich vn̄ gehorſam nit weſen ſo ſal man ſie uzzer dē cloſter uˢdriben. Die ebdiſſen ſal ſich iedoch alſo wor denken dznit in die durch zorn vn̄ durch haz wā die ſie uō allē irrē urtdeilē gode rede geben ſal. von der portenerſē Zv der portē des cloſters ſal man eine alde ſuſtˢe ſezzē die wiſe ſij. vn̄ die kūne wort intfain vn̄ antworte geben der alder keine lichte genge in plegē . Die ſal han einī gadem bij der portē da ſie alle die dar kūment ūmer gereit uindē in antworte zu gebene. vn̄ al zu hant als ieman da cloppet ob ein arme rufet ſo ſal ſie im anͭwortē deo gratias oder ſal in ſegenē vn̄ mit getwedekeide des godes uochtē ſal ſie ſnellichen antwortē ī der minnē. vn̄ iz iſt dz ſie bedarf einer helfen ſie neme zu ir eī iūge ſuſter. Dz cloſter ſal also geſazt ſin ob iz weſen mag dz allez des man bedarf īnewendich dē termino beuangē ſij. wazzer molē garten bachus odˢ waz da nit iſt daſz kein durf ſij dē ſuſterē uzzu gane. wā iz irrē ſelē nit in fromet. Diſe regele gebiedē wir dikke zu leſene indˢ ſamenūgen dz keine ſuſter vō dˢ vnwizzekeide ſich ī ſchuldigē moge vō dē die mā uz ſendet . Die ſuſtˢe die man vz ſendet die ſollē ſich beuelen aller der anderē ſuſterē gebede odˢ der ebdiſſen vn̄ ūmer zu dem lezzeſteme gebede des godesdinſtes ſal man gehugniſſe dū aller der die uz ſint. Aber des ſeluen dages ſo ſie weder kūment vō der uirte zu allē den geziden als godes dineſt geendet iſt ſollē sie ſich nider zu der erden in deme bedhus alle die ſuſtere biden dz ſie beden uor ſie uor die miſſedat die ſie uze gedan hant mit ſine mit horne mit muzzigeme gecoſe noch ſie inſollē keiner ſuſter ſagen waz ſie da dauzze geſin abe gehore hant vn̄ ob ſiz dunt ſie muzzē ir buſze davūme dulden. Gelichebuzze ſollē ſie lyden wylge irgō gedar gan uzzer dē cloſtˢe ob it gedut ane der ebdiſſen gebot. vō dē den mā ſwˢe dink gebudet . Wirt einer ſuſtˢ ir ſweres ober it ūmogeliches beuolen ſie ſal dz gebot intfan mit getwedecheide vn̄ mit otmutkeide vn̄ iſt dz ſie geſit die burden dˢ arbeide ir mach uberwinden ſo ſage der die vbir ir iz ir crankheit geduldecliche nit ſtolzende noch wieder ſtrebende noch wedˢſprechende. wilt aber die pˢolē vollenherten an irme gebode. vn̄ ſis nit irlozzen ſo bekenne die iūgere dz iz ir fro met vn̄ getroſte ſich zu godes helfen vn̄ ſij gehorſam in dˢ mynnē. Niemā muz dē anderē beſchirmin . Des iſt harte ſere zu hudene dz keine ſuſtˢ ī gedurre die andere beſcirmen in deme cloſtere allein ſint ſie auch mit magſchaffe zuſamene geuuget wan dā abe wyſchet lichte vrſache grozzer betrubungē. welche ir beginnet des die ſal ſcherpeliche bereſpit werdē. Niman in mut den anderen ſlagen Man ſal weren in dem cloſtere urſache allerſlachte baltheide wir ſezzen vn̄ gebieden dz ir keine ir ſuſter uzſcheidē ob ſlan in muzze. wā die gewalt hat vō der ebdiſſen. Die damiſſedunt die ſal man vor in allē bereſpē dar ūme dz die andere vochte habe . Aber den kinden den ſollen ſie alle zuchteliche hude zuſezzen biz zu irme funf=zegiſten iare des alderes. vn̄ dz uil redelichin vn̄ dz mit mazzen wā welige ir die ſtarkes alderes iſt. ane gebot der ebdiſſen ſich irgremet ober die iūgen ane vnderſcheidūge die ſalbuzze liden nader regelē wan iz geſcriben iſt. Dz du nit in wilt dz dir geſchie des ī du eineme andˢeme nit. vō der gehorſamkeide die ſie vndˢ ī ander haldē ſollē Die dogent dˢ gehorſamkeide iz zu irbiedene vō allē dē ſoſterē nit alleine der ebdiſſen wan auch ein ieclich vō der anderē underzuſchen vn̄ wizzē dz dz ſie damide uarē ſollē dē wech zuͦ gode wert keine ſūderliche gebot in henge wir keinir zu ſetze wene ockert dˢ ebdiſſen ob den ᵱbeſten die uon ir geſazt werdent alle die iūgerē ſollē mit dˢ mȳnē gehorſamē irn alderē. wirt auch ir eine wedˢſpenig wūdē die ſal mā bereſpen Jz dz ir eine v̄me ſumeliche klein ſache vō dˢ ebdiſſen obe vō ire pˢolen yecliche wis bereſpit wirt vn̄ nit ſe=bet einre irrē priolen muz erzurnet obe beweget īgēgen ſij. Alzuhant ane merūge ſal ſie geſtrekket ā die erde vor iren fuzzē ligē geotmudigit alſo lange biz die bewegēge mit gudē wortē geheilit werde wylche ir diz uˢſmet antwedˢ ſie ī ſal dˢ buzzē vnder ligē obe wirt ſie widerſtrebig man uˢdribe ſie uzer dē cloſtere. von deme guden ernſte. Alſo boſe alſo der erneſt lichte mut iſt dˢ bittˢkeide dˢ uō gode ſcheiden vn̄ leidet zu dˢ hellē alſo gut iſt der erniſtliche mut der ſenftekeide dˢ uō den ſunden ſcheidet vn̄ leidet zuͦ gode vn̄ zu dem ewigē libe. Diſſē ſelbē ernſt ſollē die ſuſtˢe vbē mit der hizzender mynnē dz ſie ſich under eī eren dz ſie ir crankheit beide des libes vn̄ der ſiden geduldecliche uˢdragen dz ſie gehorſamkeit vnder eȳ haldē. Jrre keine ī nauolge dē dz ſie ir ſelber nuzze dunket wā dz einer anderē nutze iſt. Die mīne ſollē ſie cuſliche haldē got uochtē ir ebdiſſen mit reinˢ otmudkeide mīnē. Sie in ſollē in nit liebes han uor dē heilgē kriſt dˢ unᷤ alſamēt geleidē muz. zu dē ewygē libe. amē. vō dˢ ſezzūgē dˢ regelen . Diſe regele han wir geſcribin v̄me dz dz wir da mide zeu=gē allē den die ſie beginnē wollēt dz anbegīne irs bekerniſſes zu hudene vn̄ dā worwert gudeſide ſide ī dē cloſtere zu habene vn̄ wilche da ilet zu durnechtigheide irs lebenes ſie mirke die lerū=ge dˢ heilgen vedere. wā ſie leident dē mēſchen zu dˢ hoe dˢ dur=necheide wo is irgen keine ſcrift ob keine gotliche lerūge des alden ob des nuwen urkundes iz in ſij eine rechte regele des menſlichē lebenes. Obe wilche buch der heilgen veddere in ſingit dz ſelbe nit dz wir mit rechtē laufe uollekūmē zu v̄ſē ſceppere. Die rede dˢ ueddˢe vn̄ irre ſezzvnge lebenes vn̄ die regele des heilgen vaders ſc̄e baſilijn waz iſt anders dan eȳ bereidūge der dogēde allē den die rechte lebēt vn̄ gehorſam=keit leiſtēt. Aber uns tregē vn̄ v̄rechte lebendē vn̄ ūˢſumē=dē iſt iz laſter vn̄ ſchande. Durch dz du da iles zu dem hȳ=melſchen lande diſe wenege regele die da vor geſcriben iſt die uollēbringe ſo mach ſo machᷤ du zu letzes zu dē merē werken dˢ dogende vn̄ dˢ lerungē die wir uor geſazt hā mit godes beſchirmūgē vollekūmen. A M E N Diſe regele ſal mā allerzijt anhebē an ſc̄e benedictus dage vn̄ an ſc̄e iohannis baptiſten dage vn̄ an ſc̄e michahelis dage vn̄ an der octauen dˢ kindelin vn̄ ſal ſie leſē diz an ſcūs benedictus dag dan ſal man ſie alleczit vō erſt an begīnē. Des neſtes dages na ſc̄e lamᵱtus dage ſo ſal die ſengˢen zu capitele die manē die capitel heldet dz ſie abſoluire die dodē ſo ſal der dˢ da capitel heldet ſprechē alſus. Anime fratrum et ſororum et famili=arum noſtrorum hoc anno defunctorum req(ui)eſcant in pace. ſo ſal dˢ conuent antwirtī amē. vn̄ ſollē ſprechē. De p(ro)fundis . vn̄ ſollē nider knyē zu kyriel(eison) vn̄ ſprechē p(ate)r n(oste)r. ſo ſal die da capitel heldet sprechen Et ne nos i(n)ducas. A porta in f(er)i. Erue d(omi)ne animaſ eorum. D(omi)ne exaudi Oremus D(om)in̄(u)s uenie largitor et hūane ſalutis auctor q(uaesu)m(u)s clementiam tuam ut n(ost)re cōgregacōis fratres et ſorores et familiares qui ex hoc ſeculo tranſier(un)t b(eat)a ma(r)ia ſemp(er) uirgine intˢcedēte cum omnibus ſ(an)c(t)is ad p(er)petue bātudinis con̄ſorcium peruenire cōce=das. P(ater). noster D(omi)ne exaudi. Requieſcāt. Dar naſizzen nider. ſo ſal die ſengeren manen die die da capitel heldet dz ſie abſol=uire auch unſe veddere vn̄ vnſer mudere vn̄ ander vnſer frunde ſelē. So ſal die die da capitel heldes ſprechē. p(at)res matres fratres et ſorores et cōſanguenei defuncti fratrum et ordinis noſtri requieſcant in pace amē. Dar na ſal ſie ſagē dz ein ielich ſuſter ſal leſen zehen ſeltere. Patres m(at)res et fr(at)es et sorores requieſcant in pace amen . | wîle. diu gevellet allen den die niet liebers en hânt. danne unsen hêrren Krist durch den heiligen dienest den sie gelobet hânt oder durch die vorhte dingen zuo gesellescheffe die sal gelîche wîze lîden. wie die eptissin sorcsamic solle sîn umbe die missetuonten. unde lâzen sich des ermanen daz sie âne murmelunge sîn. wie man sich halten solle mit ezzenne und mit vastenne. Et ne nos i(n)ducas. A porta inf(er)i. Erue d(omi)ne animas eorum. D(omi)ne exaudi Oremus D(om)in(u)s uenie largitor et hunane salutis auctor q(uaesu)m(u)s clementiam tuam ut n(ost)re congregaconis fratres et sorores et familiares qui ex hoc seculo transier(un)t b(eat)a ma(r)ia semp(er) uirgine intercedente cum omnibus s(an)c(t)is ad p(er)petue bantudinis consorcium peruenire conce=das. matres fratres et sorores et consanguenei defuncti fratrum et Patres m(at)res et fr(at)es et sorores requiescant in pace amen. |